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सच्ची श्रद्धांजली बापू को,अवकाश नहीं काम.

chandravilla
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आज जो विषय आप सबसे साझा करना है ,शायद अधिकांश जनों विशेष रूप से सरकारी सेवारत कर्मचारिओं को पसंद न आये,परन्तु मेरे मस्तिष्क में क्रोंध रहाहै अतः जागरण के माध्यम से आप सब के समक्ष प्रस्तुत है.
हमारे देश विशेष रूप से उत्तरप्रदेश में ये परम्परा है,महापुरुषों के जन्मदिवस पर अवकाश की. सत्ता में आते ही सभी दल या राजनेता अपने अपने वर्ग को संतुष्ट रखने के लिए अवकाश की घोषणा को अपना परम कर्त्तव्य मानते हैं.धीरे धीरे ये सूची बढ़ती जा रही है,पर इसको रोकना बिल्ली के गले में घंटी बांधना है अतः कोई आसार नज़र नहीं आते कि इस पर लगाम लग सकेगी.
आज समाचार पत्र में पढ़ा कि महात्मा गांधी ने पुनः पुनः इस तथ्य पर बल दिया था कि उनके जन्मदिवस को अवकाश न घोषित किया जाए.उनका कथन था कि न तो मेरे जन्मदिवस को अवकाश घोषित किया जाए न ही मेरी प्रतिमा चौराहे पर लगाई जाएँ.उनके विचार से ऐसा होनेपर उनको घोर निराशा होगी.परन्तु हमने उनके विचारों का खुले आम तिरिस्कार करते हुए धड़ल्ले से प्रतिमाएं भी लगवाईं तथा राष्ट्रिय अवकाश भी घोषित किया.ये अलग तथ्य है कि कभी किसीनेता आदि के आगमन पर उसकी धुल झड जाती हो अन्यथा प्रतिमाओं की दुर्गति आप अपने नगरों में स्वयं देख सकतें हैं.(अपवाद गण्य नहीं होते )
क्या अवकाश घोषित कर महापुरुषों के प्रति हम विशेष सम्मान प्रर्दर्शित करते हैं.हमारे अग्रगण्य महापुरुषों ने संघर्ष किया या बलिदान दिए देश को स्वतंत्र करने हेतु या देश कि समस्याओं का समाधान कर विकास के पथ पर अग्रसर करने हेतु.उनके महान कार्यों के प्रति हम सदा नतमस्तक हैं,.कभी ऊरिन नहीं हो सकते.सम्मान प्रर्दर्शन हेतु अन्य माध्यम भी खोज सकते हैं.अवकाश घोषित करनेसे जितने working hours की हानि होती है क्या ये देश को विकास मार्ग पर ले जा सकता है ?और इसी प्रकार तो ये सूची इतनी बढ़ जायेगी कि अवकाश ज्यादा और कार्य घंटे कम होंगें महापुरुष तो विश्व में सभी देशों में रहे हैं,परन्तु विचार करिए क्या इस प्रकार अवकाश के माध्यम से वहां राष्ट्रीय विकास को बाधित किया जा रहा है? राष्ट्रीय विकास बाधित होने से हमारे महापुरुषों की आत्मा को शान्ति मिलेगी?
ये तो रही जन्मदिन पर अवकाश घोषणा, इसी क्रम में यदि हम विचार करें तो अवकाश के नाम पर हमारे देश में सर्वप्रथम प्रभावित होती है विद्यालयों, महाविद्यालयों का शिक्षण.चुनाव हो तो अवकाश,गत कुछ वर्षों से चुनाव ड्यूटी के कारण विद्यालयों में अवकाश घोषित हो जाता है शिक्षण संस्थाओं में चुनाव के लिए सैनिक अर्धसैनिक बल रूकने के नाम पर लम्बी छुटी घोषित हो जाती है.क्यूंकि चुनाव कई चरणों में होते हैं,अतः पूरे समय बाधित होती है पढाई राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोमन वेल्थ खेलों के नाम पर इतना अवकाश यही दर्शाता है कि हम अपने विकास,अपनी शिक्षा के नाम पर कितने गंभीर हैं.
वास्तविक अर्थों में राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए अपने निहित स्वार्थों,से ऊपर उठकर राजनेताओं,स्वयं जनता को आगे आना होगा. विकास को प्राथमिकता देनी होगी.यही संकल्प यदि हम आज ले सकें तो पूज्य बापू के जन्मदिवस पर सर्वश्रेष्ट श्र्द्धाजली होगी.जय भारत.

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