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कोई पुरस्कार चाहिए क्या?

chandravilla
chandravilla
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एक सूनी हुई कहानी अचानक याद आ गयी.एक स्त्री को दिखावे का बहुत शौक था दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सभी लोगों का ध्यान उसकी ओर होना चाहिए चाहे उसके लिए उचित-अनुचित किसी भी साधन का सहारा लेना पड़े.एक बार उसने एक नयी अंगूठी खरीदी अपने स्वभाव के अनुरूप वह सबको अपना आभूषण दिखाना चाहती थी परन्तु कई दिन व्यतीत होने पर भी जब लोगों का ध्यान उस ओर नहीं गया तो उसकी व्यग्रता बढ़ने लगी और उसने अपने घर में आग लगा दी.लोग एकत्रित हो गए तो वह अपनी अंगूठी वाली अंगुली से संकेत करके सबको दिखने लगी कि देखो ये भी जला या ये नुक्सान हुआ आदि आदि.बाद में सबको समझ में आ गया कि चक्कर क्या था.
संभवतः ये अतिश्योक्ति रही हो परन्तु ये कोई बहुत अद्भुत बात नहीं.प्राय ऐसी हरकतें समाज में बहुत लोग करते हैं. ख्याति प्राप्त लोगों का तो ये आम मूलमंत्र है.(अधिकांश) परन्तु आम जन भी इस प्रवृत्ति का शिकार हैं.स्तिथि तो यहाँ तक है कि,चर्चित होने के लिए भले हीउनको चारित्रिक हनन से सम्बंधित घटना का सहारा लेना पड़े वो चूकते नहीं. उलटे सीधे बयां देना,किसी के विषय में अनर्गल बोल देना, सबके सामने कोई नया दृश्य उपस्थित करना,ऊलजलूल वस्त्र या केश विन्यास आदि नुक्तों या साधनों का सहारा लेना सामान्य सी बात रहती है.

विवादित बयान देते रहना राजनीतिज्ञों के लिए सामान्य सी बात है.परन्तु वर्तमान में अरुंधती राय द्वारा किया गया अनर्गल प्रलाप इसका त्ताजा उदाहरण है.मेरी समझ में इसका कारण रहा होगा कि उन्होंने कोई नयी पुस्तक लिखी होगी ,जिस पर पुरस्कार सामान्यतः तभी मिलेगा जब भारत विरोधी छवि हो या देश के विरोध में कुछ लिखा हो.अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भारत के लिए तभी मिलते हैं.शायद पड़ोसी देशों से कुछ विशेष प्रोत्साहन मिला हो तो कोई आश्चर्य नहीं. अतः उन्होंने अपने बयान में नयी पंक्ति ओर जोड़ दी ये कहते हुए कि काश्मीर के लोग दुनिया के सबसे क्रूर सैनिक कब्जे का शिकार हैं.शायद वो भूल गयी कि ये हमारा देश ही है जहाँ ऐसा बयान देने के बाद भी वो ऐश से रह रही हैं .ऐसे लोगों के खिलाफ फतवा जारी नहीं होगा
परन्तु थोडा विलम्ब से ही सही आवाज तो उठी. सरकार की ओर से भी कुछ दबती सी आवाज़ सुनायी दी कि उनके विरुद्ध मामला दर्ज हो. होगा क्या ये तो भविष्य के गर्भ में है,परन्तु हमारे नीति नियंताओं ने यदि कठोरतम कार्यवाही नहीं की तो हमारे सशस्त्र बलों का मनोबल तो आहत होगा ही, पड़ोसी देश सेना को बदनाम करने में और अधिक सक्रिय होंगे.
अतः आवश्यकता है संगठित हो एक स्वर में आवाज बुलंद कर अरुंधती राय जैसों को मुहं तोड़ जवाब देने की.

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