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ज्योत से ज्योत जगाते चलो

chandravilla
chandravilla
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; <दीपावली पर माँ लक्ष्मी सुख-समृद्धि,स्वास्थ्य,सद्बुद्धि,सद्गुणों का वरदान आपको दें.
एक बाल कविता की १-२ पंक्तियाँ याद आयी “आयी दीवाली-आयी दीवाली लड्डू पेड़े बर्फी वाली,” यूँ तो वर्ष भर हम त्यौहार मनाते हैं.हमारा देश जिसकी विशेषता विविधता में एकता है त्योहारों की धरती है.त्यौहार मनाने का रूप भिन्न हो सकता है,नाम अलग अलग हो सकते हैं समय का अंतर भी संभव है,मकर सक्रांति ,पोंगल,बसंत पंचमी,महाशिवरात्रि,वसंत नवरात्र,रामनवमी,महावीर जयंती,वैसाखी वटअमावस्या ,गुडी पाडवा ,बिहू,गणेश चतुर्थी, दुर्गापूजा,विजयादशमी,दीपावली , गुरु नानक जयंती,गुरु गोविन्द सिंह जयंती,गुरु पूर्णिमा,महा लक्ष्मी पूजा, जन्माष्टमी,रक्षाबंधन,होली ,ओणम.छटपूजा ,…………..आदि.इसी प्रकार इदुल्फितर,क्रिसमस आदि सभी त्योहारों की धूम वर्ष भर रहती है.परन्तु दीवाली का कुछ अलग ही महत्व है.
– दीपावली मनाने के पौराणिक कारण बहुत सारे हैं.प्रभु श्रीराम के रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने पर खुशी के रूप में घर घर दीप जलाए गए तभी से आज के दिन आनंद पर्व के रूप में दीवाली मनाई जाती है.,इसी प्रकार भगवन महावीर का निर्वान दिवस,स्वामी दयानंद का निर्वान दिवस आदि……….दीपावली पर छोटे-बड़े सबके चेहरों पर एक नवीन उत्साह,उल्लास व उमंग की दीप्ति रहती है.घर- घर स्वच्छता अभियान चलता है,रंग रोगन से घर चमकता है.उसके बाद रंगोली,,से घर आँगन सजते हैं.तो चलिए इस दीवाली पर;
आओ हम सब दीवाली मनाते हैं,घरों को स्वच्छ कर रंगोली सजाते हैं,दीये,कंदील,बंदनवार,झालर लटकाते है,गणेश लक्ष्मी को मनाते है,मेवा लड्डुओं का भोग लगाते है,चलो थोड़ी आतिशबाजी भी चलाते हैं ये सब अपने लिए तो हर वर्ष करते हैं,पर इस वर्ष थोडा समय उनके लिए भी निकालते हैं ,थोड़ी खुशी उनके साथ भी बांटते हैं,जिनका अपना कोई नहीं ,जो इन सबसे दूर अपनी दीवाली आज भी झूठे पत्ते चाट के मनाते हैं,कूड़े में से बुझे पटाखे छांट अपनी आतिशबाजी चलाते हैं ,थोडा सा बहुत थोडा सा समय उनके साथ भी बिताते हैं.,उनके चेहरों पर भी चमक लाते हैं.
चलो अपने बैर भाव मिटा करईर्ष्या -द्वेष को आतिशबाजी के साथ जलाते हैं.चलो देश से भ्रष्टाचार ,अशिक्षा के अन्धकार को मिटाते हैं,
चलो अपने देश को पुनः विश्व का सिरमौर बनाने का संकल्प लेते हैं.चलो एक नयी ज्योति जलाते हैं.

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