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रोशनी,फूल,रंगीन वन्दनवारों से झिलमिल राजस्थानी स्टाईल से दुल्हन की तरह सज्जित फार्महाउस की शोभा देखकर लग नहीं रहा था हम किसी मध्यमवर्गीय परिवार के विवाह समारोह में सम्मिलित होने आयें हैं.शाही स्वागत (वैसे कोई आश्चर्यजनक बात नहीं अब प्राय शादी विवाह में आम बात है.)शाही भोज सभी कुछ मिलकर चार चाँद लगा रहे थे . मेहरा जी की रूपसी कन्या ब्याही जाने वाली थी एक अप्रवासी भारतीय एन .आर.आई मेडिको के साथ.मेहरा जी के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी यहाँ तक के कर्जा लेकर सारी धन राशि से बिटिया का सुख संसार बसाने का बीड़ा उठाया था. .परिचित,सगे-सम्बन्धी मेहरा जी व उनकी बिटिया के भाग्य को सराह भी रहे थे और ईर्ष्या करने वाले भी वहां थे. संस्कार विधि विधान से सम्पन्न हुआ तथा खुशियों के झूलों में झूलती कन्या रीना पति के साथ उड़कर विदेश चली गयी.
बेटी का फोन आता तो सब तैयार रहते बात करने के लिए,कुशल समाचार जानने के लिए उत्सुकता रहती रीना की खुशहाली देख तसल्ली होती.कुछ समय बीता तो फोन का क्रम घटने लगा यहाँ तक कि काल रिसीव भी नहीं की जाती थी,प्रारम्भ में तो व्यस्त होगी सोच कर किसी को कष्ट नहीं हुआ परन्तु फिर चिंता बढी. बड़ी कठिनाई से पता चला कि लड़का मेडिको था नहीं,कोई सामान्य डिप्लोमा कोर्स किया था दहेज़ में मोटी.रकम उपहार व सुन्दर लडकी के लोभ में उसने धोखा किया था.वो पहले से ही विवाहित था. लडकी का पासपोर्ट उसने अपने साथ रख लिया था.अन्य कोई विकल्प न होने के कारण लडकी विवश थी.पैसा आभूषण छीन कर उसकी नौकरानी बना दिया गया था.शारीरिक शोषण प्रताड़ना सब उसको सहन करना पड़ रहा था.अंततोगत्वा किसी की सहायता से वह भारत वापस आ सकी थी.उसकी अवस्था का अनुमान हम स्वयं लगा सकते हैं.
ये कोई एक लड़की या एक परिवार के साथ घटित घटना नहीं ,उन अधिकाँश परिवारों की गाथा है जो अप्रवासी या विदेशी दुल्हों की चकाचौंध से प्रभावित हो जल्दबाजी में बिन पूर्ण जांच पड़ताल के लड़कियों को विवाह कर देते हैं.इंटरनेट,मेरिज ब्यूरो,विभिन्न एजेंसीस और कई बार परिचित रिश्तेदार ऐसे विवाहों के सूत्रधार होते हैं.स्वयम लड़कियां भी ग्लेमर व स्वतंत्र जीवन की चाह में ऐसे जाल में फंस जाती है.और न जाने ऐसे कितने ही दुश्चक्रों के शिकार हो कर अपना जीवन बर्बाद कर लेती हैं.कई बार दिखावा भी ऐसे केस में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है.
ये घटनाएँ तो अमेरिका,इंग्लेंड व अन्य समृद्ध देशों की हैं.इसके अतिरिक्त मुस्लिम देशों के भी उदाहरण हैं जहाँ यहाँ से गयी लड़कियों को नारकीय जीवन व्यतीत करने को बाध्य होना पड़ता है. . प्रश्न तो उठता है हम इतने संवेदन हीन कैसे बन जाते हैं . जिस लड़की को इतने लाड से पाला जाता है उसके विवाह जैसा निर्णय बिन पर्याप्त खोजबीन के मात्र चमक दमक से प्रभावित हो कर देते हैं.केवल मात-पिता नहीं मै एक ऐसी लडकी को व्यक्तिगत रूप से जानती हूँ ,जो स्वयं इंजिनियर थी लेकिन उसका स्वप्न था वही विदेशी या अप्रवासी दूल्हा.केवल एक ५ मिनिट की फोन काल पर व नेट चेटिंग से उसने विवाह के लिए हाँ कर दिया.खैर ईश्वर कृपा से वह लड़का सही था. तथा ऐसी कोई अनहोनी उसके साथ नहीं हुई.ऐसा नहीं की ये सभी विवाह सदा नकारात्मक परिणाम ही देते हैं परन्तु बिन पर्याप्त जानकारी के लडकी के जीवन को दांव पर लगाना या लड़की का स्वयं अपने भावी जीवन का जुआ खेलना कंहाँ की बुद्धिमानी है.?
राष्ट्रीय महिला आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार अकेले पंजाब में लगभग १५०००महिलओ के ऐसे केस हैं जिनको इसी प्रकार के धोखे का शिकार होना पड़ा लड़कियों के साथतो ऐसे केस बहुतायत में होते ही हैं लडको भी इन घटनाओं का शिकार होना पड़ता है . इसके सर्वथा विपरीत ऐसे भी केस पर्याप्त संख्या में होते हैं जो विदेशी नागरिकता लेने के लिए कांट्रेक्ट के आधार पर विदेशी लडकी से विवाह करते हैं.नागरिकता मिल जाने पर तलाक. अभी कुछ समय पूर्व ही समाचारपत्र से ज्ञात हुआ था कि ऐसे गिरोह के द्वारा मोटी धन राशि वर पक्ष से लेकर विदेशी बालाओं से झूठे विवाह करा दिए जाते हैं.,सब धोखाधड़ी अर्थात विवाह जैसी संस्था को सस्ता व खेल बना दिया गया है.कायदे कानून का जहाँ तक प्रश्न है सारी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि धन और समय के अपव्यय के कारण कुछ हाथ नहीं आ पाता
अंत में प्रश्न है समस्या के समाधान का.यदि कोई सुयोग्य मेच है भी तो कुछ तथ्यों का ध्यान रखते हुए ही इन विवाहों का किया जाना उचित है;
(१) सर्वप्रथम तो अन्य बातें समान होने पर भी सबसे पहले तो ये तथ्य भी विचारणीय है कि सम्बंधित पक्ष स्वयं को वहां के वातावरण में ढाल सकता है या नहीं. (२) जो विवरण दिया गया है उसके हर पॉइंट की जांच कराई जाए.उदारणार्थ विवाहित तो नहीं है.
(३)जॉब की जो जानकारी दी गयी है सम्बंधित कम्पनी से पड़ताल की जानी चाहिए. (४) कोई अपराधिक केस तो सम्बंधित व्यक्ति के विरुद्ध नहीं है.
(५)सम्बंधित व्यक्ति के निवास आदि की जानकारी तथा यदि कोई सगा संबंधी वहां हैं तो
विस्तृत जानकारी.प्राप्त की जाए तो अधिक विश्वसनीय होगी. इसके अतिरिक्त ऐसी स्वतंत्र एजेंसी भी हैं जो ऐसी जांच करने की सुविधा प्रदान करती हैं. अभिप्राय ये है कि जिन बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का स्वप्न हम या वो स्वयं संजो रहे है वो बिखर न जाए.अतः जल्दबाजी नहीं धैर्य से बच्चों का स्वप्न संसार सजाइए
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