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घरेलू हिंसा की शिकार पत्नियों पर लिखे लेख “हम भी इंसान हैं( बंद करो अत्याचार) पर आयी प्रतिक्रियाओं के उत्तर में ये कहा गया था कि ये अत्याचार पति पर भी होते हैं यद्यपि मेरे द्वारा पहले ही लिखा गया था कि ,घरेलू हिंसा का शिकार घर में रहने वाले कोई भी सदस्य हो सकते हैं. पति,बच्चे,माता-पिता यहाँ तक कि घर में रहने वाली नौकरानी भी. पत्नी सर्वाधिक प्रभावित सदस्य है , अतः इस विषय के बाद पति जो घरेलू हिंसा का शिकार बनते हैं,उन्ही के सन्दर्भ में ये लेख है.
पाश्चात्य देशों में पति शारीरिक हिंसा के शिकार अधिक बनते हैं परन्तु हमारे देश में भी ऐसी घटनाएँ प्रकाश में आती रही हैं.पूर्व लेख की प्रतिक्रिया में किन्ही सज्जन ने लिखा था कि छत्तीसगढ़ में किसी वरिष्ट अधिकारी की पत्नी ने अपने पति को जलाने का प्रयास किया था अतः उसको गिरफ्तार किया गया.मुझे उस घटना की अधिक जानकारी नहीं है.पति को जला देना,जहर देकर मार देना,क़त्ल कर देना,किसी भी रूप में शारीरिक,. मानसिक,आर्थिक ,भावनात्मक आघात आदि पहुँचाने की घटनाएँ समाचारपत्रों ,पत्रिकाओं व दूरदर्शन की सुर्खियाँ बनती रहती हैं, इन्ही घटनाओं या प्रयासों को उत्पीडन का नाम दिया जाता है.
सभी जानते हैं कि हमारे यहाँ पति का एक सम्मानजनक स्थान रहा है.पत्नी उत्पीडन,अत्याचार की घटनाएँ कोई नहीं नयी नहीं ,हाँ स्वरूप बदल गया है.पति के अत्याचारों को मूक रहकर सहन करना हमारे यहाँ नारी जाति का स्वभाव रहा है. पुरुषप्रधान समाज होने के कारण परिवार में शांति बनाये रखने का उत्तरदायित्व नारी का ही रहा है.,परन्तु सुशिक्षित ,आत्मनिर्भर नारी की पहुँच जब थोड़ी व्यापक हुई तो इन अत्याचारों के विरुद्ध स्वर उठने लगे.परन्तु आज तक भी नारी उन अत्याचारों से छुटकारा नहीं पा सकी.
पुरुष प्रधान समाज होने पर भी हमारे यहाँ भी पति उत्पीडन की घटनाएँ सामने आने लगीं.ये सत्य है कि शारीरिक उत्पीडन का प्रतिशत कम है परन्तु जहाँ तक आर्थिक,भावनात्मक या मानसिक उत्पीडन का सवाल है हमारे यहाँ भी व्यवहार में है. उसका अनुभव अपने परिवारों,आस-पास आप स्वयं कर सकते हैं.कुछ महत्वाकांक्षी महिलाएं अधिकाधिक धन की मांग पति के समक्ष रखती हैं जिनके चलते पति उनकी मांगें पूर्ण नहीं कर पाते तथा भ्रष्टाचार ,रिश्वतखोरी अन्य अनैतिक कार्यों की दलदल में फंस जाते हैं.स्तिथि उनके जेल जाने तक की बन जाती है.पति का बैंक बेलेंस समाप्त कर,उनको कर्जदार बनाकर अपने ऐश्वर्य-वैभव पर धन लुटाने वाली महिलाओं के उदाहरण कम नहीं हैं.प्राय पत्नी के मायके का आर्थिक स्तर पति या पति के परिवार से अधिक होना,पति या ससुराल द्वारा मोटी धन राशि दहेज़ के रूप में लिया जाना आदि स्तिथि में भी ऐसा होता है.
पति कि किसी शारीरिक अक्षमता या विकृति को लेकर कदम कदम पर सबके मध्य पति का अपमान करने वाली पत्नियों की कमी नहीं.विशेष रूप से आर्थिक या पोस्ट के आधार पर अपने अन्य सम्बन्धियों से तुलना कर अपने पति को हीन भावना की शिकार बनाने वाली महिलाएं विद्यमान हैं.इसी प्रकार पति के किसी पूर्व प्रेम प्रसंग को लेकर पति का अपमान या भावनात्मक शोषण भी होता है.(भले ही वर्तमान में सब पूर्व सम्बन्ध समाप्त हो गए हों.) यदि कोई महिला पति की तुलना में अपेक्षाकृत रूप से उच्च पोस्ट पर है,तो पति से उसी रूप में (कार्यालय की भांति) व्यवहार करना,मात-पिता या अन्य परिजनों से सम्बन्ध न रखने देना ,उनकी कोई सेवा या सहायता न करने देना,पति के माता-पिता,परिजनों का अपमान या उनपर अत्याचार करना आदि आदि…..
पत्नी का स्वयं प्रेम-प्रसंग विवाह्से पूर्व या विवाह के उपरांत भी ये समस्याएं उत्पन्न करता है पति को अपने रास्ते से हटाने के लिए ,अपने अनैतिक कार्यों में बाधा बनने पर पत्नियों द्वारा पति की हत्या कर देने की घटनाएँ प्रकाश में आती हैं कई बार बदला लेने के लिए ऐसे कृत्य होते हैं..
इसी प्रकार पति के कहीं अनुचित सम्बन्ध होने पर,शराबी या अन्य किसी गलत आदत के कारण भी पत्नी ऐसा व्यवहार या हिंसा का आश्रय लेती हैं.कई बार विकृत मनोवृत्ति वाले पति अपनी पत्नी को अनैतिक कार्यों के लिए बाध्य करते हैं ऐसी परिस्तिथि में भी पत्नी बाध्य हो जाती है किसी भी हिंसात्मक गतिविधि के लिए.
प्रश्न ये नहीं कि इन उत्पीड़नों का शिकार पति है या पत्नी.परिवार पर इन हिंसात्मक घटनाओं का बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है,परिवार टूटते तो है ही,अगली पीढी भी प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से संस्कार के रूप में ग्रहण करती है.जान -माल की क्षति तो है ही,परिवारिक जीवन उद्देश्यविहीन बन नरक बन जाता है.
मेरी जानकारी के अनुसार पति की इन उत्पीडन से रक्षार्थ कोई विशेष कानूनी प्रावधान नहीं है यदि आपके संज्ञान में तो कृपया बताएं
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