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हार्दिक मंगल कामनाएं सभी को राष्ट्रीय पर्व की. “दुनिया के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां एक बार जाने के बाद वे आपके मन में बस जाते हैं और उनकी याद कभी नहीं मिटती। मेरे लिए भारत एक ऐसा ही स्थान है। जब मैंने यहां पहली बार कदम रखा तो मैं यहां की भूमि की समृद्धि, यहां की चटक हरियाली और भव्य वास्तुकला से, यहां के रंगों, खुशबुओं, स्वादों और ध्वनियों की शुद्ध, संघन तीव्रता से अपने अनुभूतियों को भर लेने की क्षमता से अभिभूत हो गई। यह अनुभव कुछ ऐसा ही था जब मैंने दुनिया को उसके स्याह और सफेद रंग में देखा, जब मैंने भारत के जनजीवन को देखा और पाया कि यहां सभी कुछ चमकदार बहुरंगी है।”
– किथ बेलोज़ (मुख्य संपादक, नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी)
“”हम सभी भारतीयों का अभिवादन करते हैं, जिन्होंने हमें गिनती करना सिखाया, जिसके बिना विज्ञान की कोई भी खोज संभव नहीं थी।!”
– एल्बर्ट आइनस्टाइन
हमारी जन्मभूमि भारत,हमारी कर्मभूमि भारत जिस पर, जन्म लेने की कामना देवता भी करते रहे हैं और अपने परम सौभाग्य पर गर्व करते हम कि हमे यहाँ जन्म लेने ,इसकी गोद में बड़े होने का सुअवसर विधाता ने दिया. विदेशी विद्ववान भी हमारे ज्ञान,सभ्यता,संस्कृति की प्रशंसा करने को बाध्य हुए हैं.
उत्थान-पतन सृष्टि का नियम है और उसी के आधार पर हमारी सभ्यता का स्वर्णिम युग रहा जब भारत ने अपने ज्ञान की ज्योति से सम्पूर्ण विश्व को आलोकित किया और वह समय भी आया जब सोने की चिड़िया कहे जाने वाले हमारे देश के धन को विदेशियों ने लूटा और जब एक बार उनके मुख को यहाँ का वैभव रूपी खून लग गया तो छूटा ही नहीं,और जोंक की तरह खून चूस कर खोखला करते रहे. एक के बाद एक आक्रान्ता यहाँ आये और अंत में अंग्रेज यहीं जम गए जिनसे अंततोगत्वा मुक्ति मिली और असंख्य बलिदानी वीरों के प्राणोत्सर्ग के बाद १५ अगस्त १९४७ को स्वाधीन भारत का सूर्योदय हुआ.
आजादी प्राप्त करने के बाद भी ८९४ दिन पश्चात २६जनवरी १९५० को एक स्वर्णिम बेला और आयी हमारे देश का एक ब्रिटिश उपनिवेश का स्तर समाप्त हुआ और एक संप्रभु,लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में अभ्युदय हुआ. २६ जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस मनाने की घोषणा कांग्रेस के अधिवेशन में की गयी थी,सभी देशभक्तों का व्यापक समर्थन इसको प्राप्त हुआ था.इसी क्रम में ९दिसम्बर १९४६ को उस संविधान सभा की प्रथम बैठक हुई जिसका गठन हमारे नेताओं व ब्रिटिश केबिनेट मिशन की मीटिंग में निर्धारित हुआ था.विविध समितियों का निर्माण हुआ और सभी विद्वत जनों के अगाध परिश्रम के पश्चात २६ नवम्बर १९४९ को हमारा विशालतम संविधान स्वीकृत हुआ तथा २६ जनवरी १९५० को लागू हुआ.
! हमारे स्वाधीन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने भारतीय गणतंत्र के जन्म के अवसर पर देश के नागरिकों का अपने विशेष संदेश में कहा: —————————–
“हमें स्वयं को आज के दिन एक शांतिपूर्ण किंतु एक ऐसे सपने को साकार करने के प्रति पुन: समर्पित करना चाहिए, जिसने हमारे राष्ट्र पिता और स्वतंत्रता संग्राम के अनेक नेताओं और सैनिकों को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्त और प्रसन्नचित्त समाज की स्थापना के सपने को साकार करने की प्रेरणा दी। हमें इसे दिन यह याद रखना चाहिए कि आज का दिन आनन्द मनाने की तुलना में समर्पण का दिन है – श्रमिकों और कामगारों परिश्रमियों और विचारकों को पूरी तरह से स्वतंत्र, प्रसन्न और सांस्कृतिक बनाने के भव्य कार्य के प्रति समर्पण करने का दिन है।”
और अब जब हम गणतन्त्र दिवस की ६१वी वर्षगाँठ मनाने जा रहे हैं तो देखना है किस सीमा तक हमारी आकांक्षाएं पूर्ण हो सकी हैं ,हमारे श्रमिक,परिश्रमी कामगार,कितने सुखी हैं,कितने खुशहाल हैं,हमारा देश वर्गहीन समाज में परिणित हो सका है क्या? हमारे कितने स्वप्न साकार हुए हैं……………………………………………..
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आज हम विश्व के विकासशील देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़े विकसित देश बनने की बाट जोह रहे हैं आज हमारे देश में धनवान वर्गों की कई श्रेणी हैं,हमारे बड़े औध्योगिक घराने विकसित देशों की कम्पनीज को खरीदने में समर्थ हो सके हैं, प्रतिष्ठित पत्रिका फ़ोर्ब्स की सूची में भारतीयों के नाम छपते हैं,देश में कारों,भव्य अट्टालिकाओं, समस्त ऐश्वर्य बैभव के उपकरणों की भरमार है हमारे इंजीनीयर्स अन्य प्रोफेशनल्स, विदेशियों को टक्कर दे रहे हैं,विकसित देश हमे उभरती शक्ति बता हमे बहला रहे हैं,,हमारे देश के आम आदमी के पास मोबाईल फोन है, दोपहिया वाहन,अन्य सुख-सुविधाएँ हैं आदि…………..परन्तु? ,एशियन विकास बैंक व अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों के अनुसार आज हमारे देश पर लगभग १२०० करोड़ रु का ऋण है.अर्थात “ऋणं कृत्वा घृतं पीवेत” भले ही इन्ही आंकड़ों के अनुसार हमारी विकासदर ८% के लगभग है लेकिन तस्बीर का दूसरा पहलु कुछ और कहानी कह रहा है
उपरोक्त चित्र किसी फिल्म का दृश्य नहीं है,अपितु हमारे देश के राज्य झारखंड के ग्राम की तस्वीर है, जो दैनिक जागरण में २३जनवरी के अंक में प्रकाशित हुई है.क्या ये हमारे इंडिया शाईन या विकास को दर्शाता है?क्या यही सभी वर्गों को समान विकास है? गणतंत्र दिवस की ६१वी वर्षगाँठ तक भी आज भी हमारा किसान हल का बैल बन कर खेत जोतता है और कर्जे के बोझ से दबता हुआ अपने तन की बलि चढ़ा देता है.
आजभी मानसून पर आधारित हमारी कृषि व्यवस्था वर्षा की अनिश्चितता के चलते डावांडोल रहती है.सम्पूर्ण देश में गरीबी व कर्जे की मार से त्रस्त किसान आत्महत्याएं करने को विवश हैं,आज भी कृषकों की ओसत मासिक आय २००० से कम ही है, ,आज भी वह अपनी उपज औने पौने दामों पर बेचने को विवश है….
निर्धनता की बात करी जाए तो भी सरकारी आंकड़ों के अनुसार ४३% से अधिक लोग गरीब हैं (जबकि शेष गणनाओं के अनुसार तो स्तिथि और भी विकराल है) देश के ७७% के लगभग जन २०रु प्रतिदिन की आय पर जीवन जीने को विवश हैं,बच्चे कुपोषण के शिकार हैं,आज भी देश में आम सुविधाएँ शौचालय ,पेयजल.विद्युत,सिर पर छत से एक बहुत बड़ा वर्ग वंछित है.एक ओर भुखमरी है तो दूसरी ओर ५० लाख टन से अधिक अन्न प्रतिवर्ष हम संभाल नहीं पाते तथा वर्षा में सडा-गला कर व्यर्थ कर देते हैं.हमारी भण्डारण की समुचित व्यवस्था न होने के कारण ऐसा हो रहा है.हमारे देश की लगभग ८४ करोड़ जनता २०रु प्रतिदिन पर जीवननिर्वाह के लिए विवश है.पर्याप्त औषधी व समुचित उपचार न करा पाने के कारण निर्धन वर्ग बीमारियों,कुपोषण का शिकार हो दम तोड़ देता है प्रतिवर्ष , अन्य घातक रोगों के अतिरिक्त डेंगू,स्वाईं फ्लू,बर्डफ्लू,आदि मौसमी रोगों का शिकार यही वर्ग बनता है. कारण गंदगी,चिकित्सा सुविधाओं का अभाव. ! शिक्षा की स्तिथि भी विकराल है,प्रथम तो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते ,जाते हैं तो ५वी कक्षा से पूर्व ही प्रतिवर्ष पैदा होने वाले २ करोड़ बच्चों में से ४२% स्कूल छोड़ देते हैं,.मात्र ११%ही शिक्षा की अग्रिम सीढ़ियों तक जा पाते हैं.आर्थिक स्तर सुधर न पाने के कारण यही बच्चे आतंकवादियों के शिकंजे में फंस कर अपने देश के ही शत्रु बन जाते हैं.,तस्करी आदि कार्यों में लिप्त हो जाते हैं,और जब वो बच्चे शिक्षित होंगे ही नहीं तो कैसे होगा विकास?………कूडा बीनते,कूड़े में से खाध्य सामग्री ढूंढते बच्चे कैसे देश के लिए सोचेंगें.?
शिक्षित बेरोजगारों की भीड़ को जब तक काम और काम का उचित दाम नहीं मिलेगा तो वो देश का विकास करने की कैसे सोचेंगें,उनको तो आतंकवादी, अलगाववादी गुमराह करेंगें और वो उनके हाथों की कठपुतली ही बनेंगें.और अपने हाथों अपने घर को आग लगायेंगे.
भ्रष्टाचार आज देश में चरम पर है,एक के बाद एक घोटाले ………………..हमारी गाढी कमाई का १५००बिलियन डालर अर्थात ६८लाख ५५ह्ज़ार करोड़ रु स्विस व अन्य विदेशी बैंकों में जमा है.यदि हमारे कर्णधारों को ईश्वर सद्बुद्धि दे और हमारी खून-पसीने की कमाई स्वदेश वापस आये तो ?????????????????????………………….? कितनी बुलंद होगी बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर ?.
अपने पावन पर्व पर क्यों न हम शपथ लें ,भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों के समूल विनाश की,अपना धन वापस देश में लाने की और अपने भारत को पुनः सोने की चिड़िया तथा विश्वगुरु बनाने की.
जय भारत
(प्रदत्त आंकडें व् चित्र नेट से साभार)
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