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(कारगिल विजय दिवस की वर्षगाँठ २६ जुलाई पर मैं अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करना चाहती थी परन्तु कल सारा दिन नेट प्रोब के कारण नहीं कर सकी.यह कोई आलेख नहीं बस श्रद्धांजली है)
” कर चले हम फ़िदा जाने तन साथियों ,अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों………..” अपने जांवाज़ वीरों की देशवासियों के लिए एक पुकार के साथ कारगिल विजय दिवस पर अमर शहीदों का स्मरण करते हैं . शायद अब गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर कुछ समय के लिए सुनायी देती हैं ये देशभक्ति के गीतों की पंक्तियाँ. परन्तु ये हमें याद दिलाती हैं.कि.
पकिस्तान ऩे ३ बार प्रत्यक्ष युद्ध में मुहं की खाई परन्तु उसके निर्लज्ज हौंसलें पस्त नहीं हुए और घोषित -अघोषित युद्ध वो हम पर आज तक थोपता आ रहा है.हमारे जवानों ऩे हमें अपने प्राणों की बलि दे हमें विजयश्री का वरण कराया, हमें गौरवान्वित किया.१९६५,१९७१ तथा १९९९ में शेष भी कभी काश्मीर में, कभी संसद पर,तो कभी मुम्बई में पाक आतंकियों से जूझते हुए शहीद हो गये सेना कर्मी या पुलिस.कर्मचारी ,एवं अधिकारी.और निर्दोष नागरिक
हम पाकिस्तान के साथ दोस्ती का दम भरते रहे और पाकिस्तान पीठ में छुरा भोंकता रहा.हमारी दोस्ती की हसरत आज भी शेष है.हम बचपन में कोई कहानी सुनते या पढ़ते थे तो यही पूछा जाता था कि क्या शिक्षा मिली इस कहानी से. परन्तु विद्वान् मनीषियों के इस देश ऩे कोई शिक्षा ग्रहण नहीं की.इतने धोखों के बाद भी…………..आज भी हमारे बज़ट का एक बड़ा भाग सेना और सैन्य उपकरणों पर व्यय हो रहा है,परन्तु हम विवश हैं.अपनी मानसिकता से. आज भी यदि पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाने का कोई अवसर हो तो हम छोड़ने को तैयार नहीं.,जबकि हम अच्छी तरह जानते हैं कि छल,फरेब,झूठ,मक्कारी के सिवा कुछ है ही नहीं वहां .
२६ जुलाई १९९९ जब ७४ दिनों के अहर्निश युद्ध में हाड कंपा देने वाले शीत में (विशेष रूप से रात को )समुन्द्र की सतह से २७०४ फीट की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख के इस स्थान पर भारत माँ के ५२७ लाडलों ऩे भारतीय वायु सेना के साथ संयुक्त रूपसे पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध लड़ा , अपने प्राणों की आहुति दी और विजय दिलाई.सम्पूर्ण विश्व की दृष्टि इस युद्ध पर टिकी थी और हम गर्व से अपना मस्तक उठाकर कह सके कि हमने पाकिस्तान को धूल चटाई..
परन्तु क्या इन शहीदों का बलिदान व्यर्थ जाएगा ,क्या पाकिस्तान के नापाक इरादे यूँ ही पूरे होते रहेंगें और अपनी बेबसी पर हम आंसू बहते रहेंगें.आईये सच्ची श्रद्धांजली दें उन वीरों को.,उन सपूतों को जो हमारे ऊपर ये उत्तरदायित्व छोड़ कर गए हैं , देश के शत्रुओं को (आंतरिक भी और वाह्य भी) सदा के लिए विनष्ट कर दें और सर्वे भवन्तु सुखिनः के उद्घोष के साथ आगे बढ़ें.
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