Menu
blogid : 2711 postid : 1390

करवाचौथ (पति के लिए मंगलकामना का एक सुन्दर पर्व)

chandravilla
chandravilla
  • 307 Posts
  • 13083 Comments

Karva-Chauth-2010-From-rituals-to-fads करवाचौथ पर्व की मंगल कामनाएं मेरी सभी ब्लोगर बहिनों को उनके सुखी व सौभाग्य सम्पन्न वैवाहिक जीवन के लिए , मंगलकामनाएं पुरुषों को भी उनके सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए और विवाह के लिए प्रतीक्षारत उन युवाओं के लिए जो इस शुभ घडी की प्रतीक्षा में हैं.ईश्वर करे उनकी कामनाएं पूर्ण हों शीघ्रातिशीघ्र !!!!!!!
पर्व एवं त्यौहार सम्पूर्ण विश्व में अपनी अपनी परम्पराओं ,सामजिक या धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप मनाये जाते हैं.हमारी विलक्षण भारतभूमि में तो पर्व और उत्सवों की धूम है.त्यौहार मनाने का उद्देश्य सभी चिंताओं से मुक्त हो कर हंसी खुशी जीवन व्यतीत करना तो है ही,साथ ही सामाजिकता को प्रोत्साहन देने व अपनी भावनाएं व्यक्त करने का भी एक साधन है.केवल मात्र हिन्दू संस्कृति ही ऐसी संस्कृति है जहाँ त्यौहारों पर हम अपने से अधिक परिवार की मंगल कामना करते हैं.रक्षाबंधन,दशहरा व भाईदूज पर जहाँ बहिनों द्वारा भाई के मंगल की कामना की जाती है,विवाह के पश्चात करवा चौथ ,तीज तथा कुछ अन्य पर्वों पर पति की कुशलता व दीर्घ आयु के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाती है, और व्रत रखा जाता है.और संकट चतुर्थी तथा अहोई अष्टमी पर माँ अपनी संतान के लिए.पूजा व व्रत आदि करती हैं..कुछ स्थानों पर अविवाहित लड़कियां भी अपने मंगेतर या भावी पति की कामना से ये व्रत करती हैं.
श्राद्ध समाप्त होते ही नवरात्र, विजयादशमी शरद पूर्णिमा और फिर करवाचौथ का पर्व आता है शरद पूर्णिमा के पश्चात कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को .हिन्दू स्त्रियाँ इस पर्व को बहुत धूम धाम से मनाती हैं.कई दिन पूर्व इसकी तैयारियां प्रारम्भ हो जाती है यद्यपि इस पर्व को उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड,पंजाब,राजस्थान,गुजरात,दिल्ली ,हरियाणा व हिमाचलप्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है,परंतू अब सम्पूर्ण भारत में ही नौकरी .व्यवसाय आदि के कारण अन्य प्रान्तों के लोग भी रहते हैं,और शेष दूरदर्शन व फिल्मों की मेहरबानी से देश के अन्य भागों में तथा भारत से बाहर विदेशों में रहने वाली भारतीय महिलाओं द्वारा यह व्रत किया जाता है
Karva-Chauth-Mehndi-Designs-4 करवाचौथ से .एक दिन पूर्व महिलाएं मेहंदी आदि हाथों में रचाती हैं, करवा एक मिटटी का पात्र होता है,जिसमें जल भरकर रखा जाता है.और रात्रि में वही करवे वाले जल से चन्दमा को अर्घ्य दिया जाता है. .अपनी शारीरिक सामर्थ्य व परम्परा के अनुसार महिलाएं इस व्रत को निर्जल ही करती हैं ,पक्वान्न तैयार किये जाते हैं .विशेष रूप से साज-श्रृंगार कर दिन में इसकी कथा या महातम्य सुना जाता है,अपने श्रद्धेय सास या नन्द को पक्वान्न ,वस्त्र आदि की भेंट दी जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है.रात्रि में चन्द्रदेवता के उदय होने पर दर्शन कर और पतिदेव की पूजा कर ही व्रत का पारायण किया जाता है.त्यौहार मनाने का तरीका स्थानीय परम्पराओं के अनुसार थोडा भिन्न भले ही हो सकता है,परन्तु मूलतः इसी रूप में त्यौहार मनाया जाता है.
\ पंजाब में भी करवाचौथ बहुत उत्साहपूर्वक मनाया जाता है,सासू माँ या ससुराल पक्ष की ओर से सरगी के रूप में पुत्रवधू के लिए वस्त्र-आभूषण ,श्रृंगार सामग्री,चूड़ियाँ , पक्वान्न ,मेवे. फल आदि भेजे जाते हैं.सूर्योदय से पूर्व कुछ महिलाएं शगुन के रूप में कुछ खाकर मुहं भी मीठा करती हैं.
श्रृंगार तो महिलाएं करती ही हैं,परन्तु अब व्यवसायिकता की दौड़ में मेहंदी और ब्यूटी पार्लर्स की चांदी रहती है,विशेष पैकेजस की व्यवस्था उनके द्वारा की जाती है,यही स्थिति मेहंदी लगाने वाले लोगों की रहती है.
फिल्मों के या दूरदर्शन धारावाहिकों के प्रभाव से अब पति भी पत्नी के साथ करवाचौथ पर व्रत रखने लगे हैं. और उपहार आदि दिलाने की व्यवस्था करते हैं. अपनी पत्नी से किसी भी कारण प्रदेश स्थित पतियों को इन्टरनेट के माध्यम से त्यौहार मनाने तथा विभिन्न साईट्स वेबकेम के माध्यम से परस्पर अपनी भावनाएं व्यक्त करने का सुअवसर प्रदान करती हैं. हैं.
\ सर्वे भवन्तु सुखिनः का उद्घोष करती हमारी संस्कृति में “पर ” पर बल दिया जाता है.अपने से अधिक अपने परिवार के लिए सोचें.भोजन करने से पूर्व पशु, पक्षियों, कोई भूखा समक्ष हो तो पहले उसको भोजन कराएँ. परिवार में सबके भोजन करने के पश्चात भोजन ग्रहण करना आदि विशेष रूप से सैद्धांतिक रूप में नारी को देवी का समान प्रदान कर ये समस्त सिद्धांत नारी द्वारा ही पालन किये जाते हैं.कुछ तो शास्त्रों का विधान,कुछ परम्पराएँ और कुछ स्वयं नारी ऩे अपने को देवी मानते हुए स्वयं को उपेक्षित बनाया.और सबको अच्छा खिलाकर स्वयं बासी या बचा हुआ खा लेना या भूखा रहना आदि आदि.
ऐसी परिस्थितियाँ प्राय पूर्वकाल में देखने को अधिक मिलती थी जब नारी स्वयं को सदा उपेक्षित ही रखती थी परन्तु तुलनात्मक रूप से समय में परिवर्तन कुछ सीमा तक आया है.परन्तु ऐसा नहीं की वह स्थिति समाप्त हो गयी हो. आज भी ऐसी महिलाएं हैं जो पति द्वारा परित्यक्ता या तलाक दिए जाने पर,दुर्व्यवहार करने पर,तथा अन्य उत्पीड़नों का शिकार होने पर भी उनके लिए व्रत रखती हैं.
अतः मेरा अनुरोध ,विनम्र आग्रह पुरुषवर्ग से (जो ऐसा नहीं करते ) उन भाईयों से,उन पतियों से और उन पुत्रों से जिनके लिए मंगल कामनाएं ,व्रत उपवास नारी द्वारा किये जाते हैं.,क्या उनका दायित्व नहीं कि वें भी नारी जगत के प्रति सम्पूर्ण दायित्व का निर्वाह करते हुए उनको वो मानसम्मान ,सुख. खुशी प्रदान करें जिनकी वो अधिकारी हैं.और वही व्यवहार करें जिसकी अपेक्षा वो उनसे अपने लिए करते हैं. अपनी उन बहिनों से भी जो पति के लिए व्रत तो रखती हैं परन्तु पति का अपमान करने में या अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार से चूकती नहीं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to manoranjan thakurCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh