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“किसी को न मारना तो जरूरी है ही ,कुविचार भाव हिंसा है,मिथ्या भाषण हिंसा है,द्वेष हिंसा है,जिसकी दुनिया को आवश्यकता है ,उसपर कब्ज़ा जमाना भी हिंसा है .
अहिंसा बिना सत्य की खोज असंभव है,अहिंसा और सत्य सिक्के के दोनों रुख हैं,एक साधन है तो दूसरा साध्य.” ……………
गत १५ दिन में अपनी गुजरात यात्रा में पोरबंदर जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ महात्मा गाँधी के उपरोक्त तथा अन्य सद्विचारों को पढने पर गर्व का अनुभव हुआ. अन्य सभी स्थानों पर भी द्वारिका धाम,सोमनाथ जी आदि तीर्थस्थलों पर नैतिकता व आस्तिकता से भरपूर सन्देश पढ़कर ,प्रभु राम और योगेश्वर कृष्ण से सम्बन्धित प्रसंगों के विषय में जानकर आनन्द प्राप्त हुआ साथ ही जाना कि इसी विरासत के बल पर हम श्रेष्ठ होने का दम्भ भरते हैं,जहाँ प्रभु राम और भरत ऩे विशाल; साम्राज्य को एक ठोकर पर ठुकरा दिया था ,गोविन्द ऩे सत्य का साथ देते हुए महाभारत के युद्ध में सारथी की भूमिका का निर्वाह किया था गीता का दैवी उपदेश प्रदान किया था .
राम, कृष्ण,गुरुनानक ,महावीर स्वामी ,गौतम बुद्ध …………………..आदि महान संतों और महापुरुषों के इस देश में जहाँ देवता भी जन्म ग्रहण करना चाहते हैं ,हमें जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त है .यहाँ पर संस्कारित परिवारों में बच्चों को घुट्टी में सन्देश पिलाये जाते हैं, सत्य बोलो,चोरी मत करो,किसी दुर्बल को सताना पाप है,चींटी को मारना भी पाप है यहाँ तक कि किसी के लिए नकारात्मक सोचना बभी हिंसा का ही स्वरूप है.काम क्रोध ,लोभ मोह आदि विकारों पर विजय प्राप्त करो आदि …………
उत्थान-पतन सृष्टि का नियम है,यही कारण है कि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले हमारे देश में ,विश्व गुरु कहे जाने वाले हमारे भारत में (अनगिनत कारणों से) हमारा आर्थिक वैभव तो लुटा ही ,हमारे सिद्धांत भी आज मात्र सिद्धांत ही रह गये हैं
. राजनीति में साम-दाम -दंड-भेद सभी का समावेश होता है,यही कारण है कि महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण ऩे अश्वत्थामा हाथी को मार कर सत्यवादी युधिष्ठर के माध्यम से द्रोणाचार्य को युद्ध से विमुख किया,रेत से पहिया निकलते हुए निहत्थे कर्ण को मारने को अर्जुन को प्रेरित किया, पुत्रघाती जयद्रथ के वध हेतु अर्जुन की प्रतिज्ञा पूर्ण कराने के लिए सूर्य को भी कुछ काल के लिए छुपा दिया ,प्रभु राम ऩे सत्य का साथ देते हुए बाली का वध किया ,विभीषण की सहायता से दशानन का भी अंत किया,समुंदर पर सेतु बाँधने के लिए बल प्रयोग भी किया .परन्तु ये समस्त कार्य सम्पन्न हुए मात्र सत्य की रक्षा के लिए,अन्याय का प्रतिरोध करने के लिए.
आज राजनीति के नाम पर जो दुश्चक्र देश में चल रहा है,उसके कारण हर देशभक्त का मन उद्वेलित है,निराशा है,कारण सिद्धांतों की इतिश्री.शत्रु को मित्र बनाने में कोई दोष नहीं ,परन्तु २ दिन पूर्व तक सिद्धांतों की दुहाई देकर बहुजन समाज पार्टी के बाबू राम कुशवाह तथा रामवीर उपाध्याय को भ्रष्टाचारियों का सरताज बताने वाली भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनको अपनी पार्टी में सम्मिलित करना और टिकिट देना किस सिद्धांत का पोषक है? माना राजनीति में लाभ हानि पर विचार किया जाता है,परन्तु जिस व्यक्ति पर हत्या ,घोटाले के आरोप स्वयं ही लगाये गये हों ,उन्ही में २ दिन पश्चात कौन से सुर्खाब के पर लग गये ,कौन से गंगाजल से उनको पवित्र कर लिया गया कि उनको सज्जन का प्रमाणपत्र मिल गया और क्लीन राजनीति की पुकार करने वाली पार्टी ऩे उनको जनप्रतिनिधि के रूप में चुने जाने के लिए अवसर प्रदान करते हुए टिकिट भी थमा दिया..सर्वप्रथम तो इतनी ओछी राजनीति सिद्धांतों की दुहाई देने वाली पार्टी को शोभा नहीं देती और लाभ भी कौन सा जबकि कुशवाह विधान सभा के चुने हुए सदस्य नहीं अपितु विधान परिषद् के सदस्य थे.क्या कुशवाह तथा अन्य अपराधियों को प्रतिनिधि बनाने के लिए टिकिट देकर सरकार बनाने में समर्थ हो पाएगी?जिस भ्रष्टाचारी को मायावती ने अवसर की नाजुकता को भांपते हुए अपने दल से बहिष्कृत कर दिया ,भ्रष्टाचार व अन्य आरोपों को देखते हुए अपनी पार्टी के बहुत सारे प्रतिनिधियों को व सदस्यों को बहिर्गमन के लिए मार्ग दिखा दिया (दुसरे शब्दों में अपनी पार्टी की छवि सुधारने का नाटक कर लिया.नाटक इसलिए कि अब चुनाव के समय मायावती को उनके काले कारनामों की याद आई.) उन्ही सदस्यों का सम्मान के साथ भुजाएं फैला कर स्वागत करना किसी को भी पच नहीं रहा है.ऐसा नहीं कि ये प्रथम बार हुआ हो इससे पूर्व भी समाजवादी पार्टी के डी पी यादव जैसे ही अन्य लोगों को भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित कर बदनामी हो चुकी है. शीर्ष अपराधी शिबू सोरेन का समर्थन लेकर भी अपनी छवि को हानि पहुंचाई है.ये तो बीत चुका था.वर्तमान में जन भ्रष्टाचार विरोधी अभियान सम्पूर्ण देश में सुखियों में है जनता को एक बेहतर विकल्प की तलाश है,स्वयं बी जे पी अन्ना व रामदेव जी के साथ खडी हो चुकी है इस अभियान में ऐसे में !……………………..
क्या किरीट सोमैय्या के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के परिश्रम पर पानी नहीं फिर जाएगा?.काले धन को वापस लाने की मांग करते हुए बाबा रामदेव को समर्थन देकर जो लाभ भारतीय जनता पार्टी न अर्जित किया होगा उसकी भरपाई का क्या होगा. .अन्ना हजारे के साथ जन लोकपाल का समर्थन करते हुए एक सशक्त जन लोकपाल की मांग करने पर बी जे पी ने जो साख बनाई थी उसको भी तो क्षति पहुंचेगी ही.अंततः चाहे ये कोई राजनीति का हथकंडा हो या ऐसी नीति जिसको हमारे जैसे देशवासी नहीं समझ पा रहे हैं परन्तु सबसे अलग नीतियों के साथ राजनीति में सक्रिय दल से ऐसी आशा नहीं की जाती.यह सही है कि शेष सभी दलों का इतिहास इसी प्रकार का है,”आया राम गया राम ” सभी दलों का इतिहास रहा है परन्तु प्रबुद्ध अग्रगण्य नेताओं से युक्त भारतीय जनता पार्टी के लिए ये आत्मघाती कदम ही कहा जा सकता है.
आज देश की जो स्थिति है जनता को तलाश है एक सशक्त विकल्प की जो सही दिशा दे,भ्रष्टाचार के पंक में निमग्न व्यवस्था को राह दिखाए ,देश का अरबों रुपया जो स्विस या अन्य बैंकों में व्यर्थ पड़ा है,उसको देश में लाकर हमारे गरीबों को अश्रु पोंछे जाएँ,देश को उसका खोया गौरव लौटाया जाय .ऐसे में एक सशक्त विकल्प प्रदान करने के लिए बी जे पी को फूंक फूंक कर कदम रखना होगा अन्यथा तो टापते रह जायेंगें पुनः देश की अव्यवस्था,दुर्दशा को कोसते हुए.
गुजरात तथा बिहार में अपनी श्रेष्ठ नीतियों के साथ भारतीय जनता पार्टी ने अपना सुदृढ़ आधार तैयार किया है ,समझदारी और कर्मठता ही उत्तरप्रदेश और फिर अन्य प्रदेशों तथा केंद्र का मार्ग प्रशस्त कर सकती है.
लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक मज़बूत विपक्ष ही सत्तारूढ़ पक्ष पर नियंत्रण रख सकता है, इन नीतियों को अपनाकर बी जे पी जनता के विश्वास की रक्षा नहीं कर सकेगी..अभी कुछ नहीं बिगड़ा है,गलती करके उसको सुधार जा सकता है ,बस आवश्यकता है ऐसी त्रुटियों से परहेज कर सन्मार्ग पर चलते हुए अपनी छवि बचाने की ,जनता का विश्वास अर्जित करने की
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