Menu
blogid : 2711 postid : 2254

तुम रूठे रहो हम मनाते रहें (जागरण जंक्शन फोरम)भारत पाक क्रिकेट संबंध

chandravilla
chandravilla
  • 307 Posts
  • 13083 Comments

“तुम रूठी रहो मैं मनाता रहूँ” फिल्म “आस का पंछी “का  गीत अपनी रूठी  प्रेमिका को मनाने के लिए गाया गया था , गीत बहुत  लोकप्रिय रहा है. हमारे देश में पडौसी पाकिस्तान के प्रति जो नीति अपनाई जाती है,वो शतप्रतिशत इसी की समानार्थी प्रतीत होती है.  जिस प्रकार कुछ  फिल्मों में प्राय  दिवाना प्रेमी अपनी प्रेमिका के सात खून माफ कर भी  उसकी समस्त   इच्छाओं की पूर्ती को ही अपना परम  और प्राथमिक कर्तव्य मानकर चलता है,बस इसी नक़्शे कदम पर चलते हुए भारत सरकार पाकिस्तान की भृकुटी तनने नहीं देना चाहती.खून की तो गिनती करना भी कठिन है जो पाकिस्तान घोषित- अघोषित युद्ध  हमारे ऊपर थोप कर वीर जवानों,निर्दोष नागरिकों का बहा चुका है.हमारी सम्पत्ति को कितनी क्षति पहुंचा चुका है,इसके आंकड़ों की खोज करना ही व्यर्थ है,क्योंकि युद्धों और आतंकवादी हमलों में खून पानी से भी सस्ता हो कर बहता है,धन की बर्बादी  का भुक्तभोगी हमारे देश से बढ़कर और कौन हो सकता है.जिसने अभी आज़ाद होने का सुख देखा भी नहीं था कि आंतरिक  और वाह्य सभी प्रकार के हमले हमें झेलने पड़े  और यही कारण है कि इतने युद्धों का बोझ ढोते हुए आज़ादी के साढे छह दशक बीतने तक विकसित राष्ट्र नहीं बन सके .

पकिस्तान रूठ न जाय ,हमारी कोई आलोचना न कर दे,(आलोचना भी ऐसे देश जो क्षेत्रीय,आर्थिक,सैन्य  आदि सभी क्षेत्रों में सदा साम्राज्यवाद के पोषक हैं और दुनिया को लूटने में अग्रणी रहे हैं) इसी चिंतन-मनन में व्यस्त हम उस विजय  को तो निरर्थक करते ही रहे,जो हमारे वीर सैनिकों ने अपना खून बहाकर हमे गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान करती रही.यही कारण है कि आज हमारे देश के बहुत से क्षेत्र विवादित बन चुके हैं,और अपनी ही भूमि के लिए हमें विश्व के समक्ष सफाई देनी पड़ती है तथा अपने पक्ष में विश्वमत तैयार करने को परेशान रहना पडता  है.
आतंकवादियों के  जनक,पोषक .रक्षक .शरणदाता पाकिस्तान का हाथ प्राय सभी आतंकवादी गतिविधियों में प्रमाणित होने के पश्चात भी हमारी नीति पकिस्तान को प्रसन्न रखने की रहती है.यही कारण है कि उन आतंकवादियों को हम अपनी जेलों में रखकर उनका दामादी सत्कार करते हैं.अपनी जनता के गाढे खून पसीने की कमाई उनका स्वस्थ और मोटा  बनाने में व्यय करते हैं,फांसी के आदेश पर सभी न्यायालयों की मुहर लगने पर भी पाक समर्थकों को प्राणदंड नहीं देते.
इसी कड़ी में एक विषय है भारत -पाकिस्तान के मध्य क्रिकेट मैच.फिक्सिंग में लिप्त,तस्करी आदि मानवता विरोधी  गतिविधियों में लिप्त,हमारे क्रिकेट खिलाडियों को गाली गलौज देने वाली ,पाकिस्तानी टीम के साथ पाकिस्तानी टीम के साथ श्रृंखला आयोजित करना किसी देश चिन्तक को पसंद नहीं आया होगा.अभी कल तक जो संगठन पाकिस्तानी खिलाडियों को आई पी एल में खरीदने व खिलाने  को तैयार नहीं था,एक दम कौन  से गुण ,कौन सी महानता उस टीम में बी सी सी आई ,तथा भारतसरकार को दिखने लगी,कि श्रृंखला की घोषणा भी हो गई.
भारत -पाक के मध्य प्रेम और सौहार्द उत्पन्न होगा ,ऐसी कल्पना करना मेरे विचार से सुन्दर अकल्पनीय दिवास्वप्न देखने से बढ़कर और कुछ नहीं.श्रृंखला के बहाने कुछ घुसपैठिये (जो प्राय हमारे देश में ही शरण लिए रहते हैं) और प्रविष्ट हो जायेंगें,तस्करी आदि गतिविधियां .नकली करेंसी और बड़ी मात्रा में उन दर्शकों के माध्यम से हमारे देश में पहुँच जायेगी,और पकिस्तान के मंसूबे पूर्ण होंगें.प्रेम सौहार्द केवल वहीँ वृद्धि को प्राप्त हो सकता है जहाँ उसके कुछ अंकुर प्रस्फुटित हुए हों और दोनों देशों के मध्य  क्रिकेट सीरीज तो  सदा ही युद्ध की भांति होती है. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड यदि दिवालिया होने की कगार पर है ,तो क्या उसकी मदद कर हम अपने उन देश के दरिद्रोंके साथ अन्याय नहीं कर रहे हैं,जिनके पास पेट  भरने का साधन नहीं.
किसी के साथ शत्रुता मेरे स्वभाव  में नहीं,न ही युद्ध की समर्थक हूँ मैं.क्योंकि सभी जानते हैं कि युद्ध की विभीषिका कितनी घातक होती है,निर्दोष नागरिकों का जीवन समाप्त होता है,देश के विकास पर लगने वाला धन युद्ध के लिए तैयार रहने में व्यय होता है जिसके कारण विकास नहीं हो पाता और देश पिछड़ता है.,परन्तु ऐसे पडौसी के साथ जबकि उसकी मंशा सदा कुत्सित रहती हो और जो अपनी काली करतूतों से कभी चूकता नहीं हो ऐसे संबंध रखने की पक्षधर नहीं हूँ.जब तक पाकिस्तान हमारे वांछित आतंकवादियों को शरण देना बंद न करे,आतंकवादी हमलों में अपनी संलिप्तता न समाप्त करे,किसी भी प्रकार के खेल संबंध न्यायोचित नहीं .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh