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और आज दामिनी ने इहलोक लीला से मुक्ति पा ली, कोई भी प्रयास उसको तन मन से अपंग जीवन प्रदान करने में समर्थ नहीं हुआ.आम आदमी का जोश उफान पर है,परन्तु ये जोश ,ये जज्बा क्या कोई सकारात्मक परिणाम दे सकेगा? मेरे विचार से ऐसी आशा करना ही बेमानी है,क्योंकि इस घृणित घटना के बाद भी दुष्कर्मी हार नहीं माने हैं. दुशासन ,रावण तो रक्तबीज के रूप में आज हर स्थान पर हैं, हैं,यही कारण है,कि देश में में प्रतिदिन कहीं न कहीं ये घटनाएँ घट रही हैं.द्रौपदी ,सीता ,अहिल्या का अपमान सदा हुआ है.दुशासन ,दशानन सब मारे गए ,विनाश हुआ, परन्तु नारी के अपमान पर कोई लगाम नहीं लग सकी.
नव वर्ष के रूप में 2013 का आगमन होने वाला है.इस अवसर पर कोई आयोजन नहीं रुकेगा, केक कटेंगें,रौशनी से जगमगायेगा कोना कोना, मदिरा की नदियाँ भी बहेंगीं , नृत्य,पार्टीज सब होगा. होटल्स, रेस्टोरेंट्स,विभिन्न ग्रुप्स ,क्लब्स, ,पब्स सभी जगह..,खो जायेंगें सब अपनी अपनी रंगीनियों में. कोई अपनी विलासिता को लगाम लगायेगा ?कदापि नहीं.बस दुःख और पीड़ा तो उनके लिए है,जिन्होंने अपनी बेटी को चिकित्सक बनाने के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम बढाये थे.क्या कोई उनके अश्रु पौंछ सकेगा,उस माँ को ढाढस बंधा सकेगा?
उत्सवों की बहार छाई कहीं ,
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