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नेताओं के देश विरोधी बयान क्या देश द्रोह नहीं?

chandravilla
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आज नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जी की जयंती तथा 26जनवरी राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं imagesHINDUSTAN
गणतंत्र दिवस की 63 वी वर्षगांठ हम मनाने जा रहे हैं ,अब कुछ  समय देशभक्ति गीत सुनायी देंगें टी वी पर भी कुछ प्रेरक  कार्यक्रम दिखाई देंगें,जो एक जोश तो दिलों में  भरते ही हैं , हमको  अपने वीरों का बलिदान  भी  स्मरण कराते  हैं,सबसे आकर्षक होता है गणतंत्र दिवस का राजधानी में आयोजन ,जहाँ सुसज्जित सशस्त्र अनुशासित  सैनिक परेड करते दिखाई देते हैं और वो झांकियां जो विविधता में एकता का दर्शन कराती हैं तथा हमें अपने ऊपर गर्व करने का एक अवसर मिलता है,कि हम इतनी समृद्ध विरासत के स्वामी हैं, और अपनी उपलब्धियां  देख कर हर्षित होने का भी अवसर होता है गणतंत्र दिवस.हाँ कुछ प्रश्न सदा ही हमें मथते हैं परन्तु इस बार तो जो उथल पुथल मन में है ,उसको एक कथा के माध्यम से व्यक्त करना चाहूंगी ……………
नैतिक शिक्षा की पुस्तकों में शायद हम सभी ने कहानी पढ़ी होगी ,जिसके अनुसार एक वृद्ध व्यक्ति जिसके पुत्र परस्पर झगड़ते रहते थे,ने उनको शिक्षा देने के लिए उनको एक एक लकड़ी देकर उसको तोड़ने को कहा  ,उन पुत्रों ने तुरंत ही उनको तोड़ दिया
,अब वृद्ध ने कुछ लकडियों को एक रस्सी से बाँध दिया और  उस गट्ठर को तोड़ने को कहा परन्तु शक्ति प्रदर्शन करके भी  उसके पुत्र  असमर्थ  ही रहे .अब वृद्ध व्यक्ति ने उनको समझाया कि इन लकडियों के गट्ठर की तरह एक सूत्र में बंध कर रहोगे तो तुमको कोई नहीं हरा पायेगा, परन्तु अकेले रहने पर तुमको कोई भी उखाड फैंकेगा .अब कथा के बाद उनको ये बात कितनी समझ आई होगी ये तो मुझको ज्ञात नहीं है परन्तु हमारा इतिहास इस तथ्य को सबसे बड़ा साक्षी है,कि हमने कोई शिक्षा स्थाई रूप से नहीं ली.जब भी हम बंटे रहे ,शत्रु हावी रहा और हम दासता की श्रृंखलाओं में बंधे रहे.अपने मतभेदों को भुलाकर जब हम संगठित हुए तो शत्रु का सर्वनाश किया. बिल्लियों की लड़ाई में बंदर ने  सदा लाभ उठाया ,परन्तु दुखद तो ये है कि अपनी विद्वता का डंका बजाने में माहिर हमारा देश इस दुर्बलता पर आज भी विजय प्राप्त नहीं कर सका और हम और हमारे नेतागन आज भी इसी चारित्रिक दुर्बलता ,दिवालिएपन का परिचय दे रहे हैं.
वर्तमान परिस्थितियों की यदि हम बात करें आज देश में समस्याओं का अम्बार लगा है,उधर  पडौसी पाकिस्तान जिसका अस्तित्व ही भारत विरोध पर आधारित है भारत के विरुद्ध नित्य ही कोई न कोई संकट खड़ा करता रहता है.आज ही समाचारों से पता चला कि पाकिस्तानी आतंकवादी भारत में प्रवेश कर चुके हैं और गणतंत्र दिवस से पूर्ण कुछ घातक कार्य कर सकते हैं .ये कोई नयी बात नहीं हर राष्ट्रीय पर पर ,बड़े उत्सवों त्योहारों पर ये नियम बन चुका है,और जिसका सामना हमारे सुरक्षा कर्मी अपनी जान पर खेलकर करते हैं.
चीन और पाकिस्तान का विषवमन तो   भारत के विरूद्ध निरंतर चलता रहता है.  और पाकिस्तान  उसका तो काम ही सदा  आतंकवादी संगठनों को प्रश्रय देना रहा है. अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए चीन उसकी पीठ थपथपाता है,और अमेरिका दोहरी नीति अपनाता है. पाकिस्तान कश्मीर की तथाकथित आज़ादी के नाम पर विभिन्न आतंकवादी संगठनों को धन तथा प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराता है और अमेरिका  तथा कुछ इस्लामिक देशों से मिलने वाली धन राशि उन आतंकियों पर लुटाता है. भले ही दोनों देश  स्वयम को आतंकवाद का विरोधी बताएं और खंडन करते रहें  चीन अरूणाचल प्रदेश के बहाने से भी भारत को परेशान करता है.बंगला देश की घुसपैंठ के नतीजे हम भुगतते ही हैं,जिन्होंने आसाम में स्थानीयों लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है.  नेपाल की चतुर्दिक खुली सीमाओं से तथा बांग्लादेश, म्यांमार एवं भूटान से भी आतंकवादियों का प्रवेश जारी रहता है.

धर्म या जेहाद के नाम पर आतंकवाद फैलाने वाले पाकिस्तान प्रायोजित तो सबसे खतरनाक  आतंकी कहे जा सकते हैं, जिनके अन्तर्गत कश्मीर में सक्रिय अलकायदा,लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद, सिमी, इण्डियन मुजाहिदीन, हरकत-उल-अंसार, अलउमर-मुजाहिदीन, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रण्ट, जम्मू-कश्मीर इस्लामी फ्रण्ट, दीनदार-ए-अंजुमन आदि संगठन.हमारी भारतभूमि के निर्दोष नागरिकों के काल के रूप में कभी मुम्बई,कभी पुणे ,कभी दिल्ली तो कभी  अन्यत्र कहर बरपाते हैं तो दूसरी ओर धरती के स्वर्ग भारत भूमि के महत्वपूर्ण अंग जम्मू -काश्मीर को नरक बनाकर रखते हैं.
नकली करेंसी के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को जर्जर बनाने का प्रयास भी इन्ही के माध्यम से होता है.इसके अतिरिक्त भी नक्सलियों,माओवादियों आदि ने देशवासियों का जीना दूभर कर रखा है.
जिसको भी अप्रत्यक्ष रूप से हमारे शत्रुओं द्वारा समर्थन के प्रमाण प्राय मिलते हैं.इस विवरण को प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि इन सब जटिलताओं से हम सब परिचित हैं,अपनी समस्याएं अवसर मिलने पर हम अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाते रहते हैं और अपना पक्ष रखते हैं कि इन समस्याओं का जनक पाकिस्तान है. इन सबका सामना हमको ही करना है परन्तु जिस रूप में देश बंटा हुआ है,राजनैतिक दल अपनी राजनीति में ये भूल रहे हैं कि उनके स्वार्थ , अनर्गल बयानबाजी देशके लिए कितनी घातक सिद्ध हो सकती है.वोट बैंक क्या देश के अस्तित्व और सम्मान से बढ़कर है ?जब देश पर शत्रु हावी होगा तो  क्या राजनैतिक दलों का अस्तित्व ही शून्य नहीं हो जायेगा?
फिलहाल मेरा संकेत केंद्रीय गृहमंत्री सुशील शिंदे के बयान की ओर है जिन्होंने कहा है कि बीजेपी या फिर आरएसएस अपने प्रशिक्षण शिविरों में हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं ,और उससे भी बड़ा आश्चर्य कि किसी भी सत्ताधारी नेता ने इसका विरोध नहीं किया अपितु कहीं न कहीं उसका बचाव ही किया है.जिसका परिणाम है आतंकवादी सरगना लश्करे तैबा संस्थापक हाफिज सईद का बाग बाग होना तथा अपना सीना फुलाकर उसने अविलम्ब कहा कि इसका अर्थ भारत का पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को फैलाने का दावा गलत और अनुचित है,और पाकिस्तान नहीं भारतीय संगठन ही आतंकवाद फैला रहे हैं अपितु पाकिस्तान में आतंकवादी घटनाएँ भारतीय संगठन ही करवाते हैं..दूसरे शब्दों में वोट बैंक को खुश करने के प्रयास में दिया गया ये बयान अंततराष्ट्रीय स्तर पर क्या सन्देश पहुंचा रहा है ये भी भूल गए सत्ताधारी .
अभी कुछ समय बेनी प्रसाद वर्मा का बयान भी पढ़ा था जो नरेंद्र मोदी को दाऊद बताते हैं और दूसरी ओर ओसामा-बिन लादेन को ओसमा जी कहकर सम्बोधित किया जाता है,वो भी प्रमुख कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह द्वारा और दुखद आश्चर्य कोई उनको रोकने वाला नहीं,इसीप्रकार   हाफिज सईद को  सईद साहब कहकर संबोधित किया जाता है. बाटला हाऊस मुटभेड को फर्जी बता हमारे वीर शहीदों की शहादत का उपहास उडाया जाता है.चिंतन शिविर में भ्रष्ट कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर कहते हैं कि बी जे पी नेता कुत्ते बिल्ली की तरह प्रधानमंत्री पद के लिए लड़ते हैं.और दुखद आश्चर्य हमारे वीर सैनिकों की हत्या के बाद उनके सिर पाकिस्तानियों द्वारा ले जाने वाली वीभत्स और जघन्य घटना पर अपने मुख पर टेप लगा लेते हैं या मद्धिम स्वर में छोटी सी घटना मान लेते हैं.
ये कुछ उदाहरण हैं,जिनको हम पढते सुनते हैं ,भुला देते हैं परन्तु आपसी विवाद में आतंकवादियों का समर्थन क्या किसी देशद्रोह से कम है ?साथ ही शेष द्वारा समर्थन करना यही दर्शाता है कि भ्रष्टाचार व स्वार्थ के प्रभाव में विनाशकाले विपरीत बुद्धि वाली स्थिति है.
नेताओं का ये व्यवहार चाहे वह सत्तापक्ष से हों या विपक्ष से रोका जाना चाहिए,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ गाली गलौज और अनर्गल प्रलाप नहीं होता.वैसे भी नेता का अर्थ है जो समाज को दिशा देता है,वह नेता होता है.अतः उनका आचरण आदर्श होना चाहिए.उनको इस तथ्य को ह्रदयंगम करना चाहिए कि देश पहले है,घर में लड़ने झगड़ने पर भी वाह्य शत्रु को तभी परास्त किया जा सकता है जब संगठित हों.अन्यथा न जाने क्या क्या परिणाम भुगतने पडेंगें.
हाँ एक सुझाव भ्रष्ट ,अपराधी जो हमारे अधिकांश प्रतिनिधि हैं को सत्ता से बाहर करना तो आवश्यक है ही साथ ही जिस प्रकार प्रशिक्षण हर सेवा में प्रवेश करने से पूर्व आवश्यक है ,नेताओं के लिए भी अनिवार्य होना चाहिए और ऐसे कार्यों या बयानों पर दंड दिया जाना चाहिए जो देख की एकता,अखंडता के लिए खतरा हैं.

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