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इसको हत्या कहें या आत्महत्या ?

chandravilla
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सारा मौहल्ला शोकाकुल था .घर उजड गया था सुभाष जी का. उनके मंझले बेटे विकास   ने गृह कलह के कारण नहर में कूद कर जान दे दी थी.चार  दिन हो गए थे लाश नहीं मिल सकी थी.गोताखोर तलाश कर रहे थे,जाल भी डाले गए परन्तु पता ही नहीं चल पा रहा था कि लाश आखिर गई कहाँ? अंतत पांचवे दिन जब क्षत-विक्षत लाश  को घर लाया गया तो सारे मोहल्ले में कोहराम मच गया ,शायद ही कोई ऐसा हो जिसकी आँखों में पानी न भर आया हो.किसी के घर चूल्हा नहीं जला.

जितने मुहं उतनी बातें.आखिर क्यों कूदा विकास   नहर में.अभी तो शादी को अधिक समय भी नहीं हुआ.था. ,सुन्दर पत्नी ,मातापिता और दो भाई और फिर ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम!
.सुभाष जी एक निर्धन परिवार में पले बढे थे.अपने परिश्रम के बल पर उन्होंने अपने परिवार की   आर्थिक स्थिति  कुछ सुधारी  थी. पत्नी की सुगढ़ता और सुभाष जी के परिश्रम  के कारण गृहस्थी की गाड़ी सुगमता से चल निकली .बड़ा बेटा कुछ मंदबुद्धि था,परन्तु सुभाष जी ने उसको उसके अनुरूप कार्य के साथ उसको व्यवसाय में लगा रखा था.मंझला  विकास  बुद्धि से तो  प्रखर था ,परन्तु पढ़ाई -लिखाई में रूचि नहीं थी ,हाँ पिता के व्यवसाय में  हाथ बंटाता था.छोटा अभी कक्षा छह का विद्यार्थी था.
सभी के सामूहिक प्रयास से व्यवसाय ने थोड़ी गति पकड़ी तो सुभाष  जी ने मंझले पुत्र विकास  का विवाह कर दिया.मंदबुद्धि होने के कारण बड़े पुत्र का विवाह होना न संभव था और न ही उचित.अतः अपनी सामर्थ्य के अनुसार एक सुन्दर मध्यमवर्गीय परिवार की कम पढ़ी लिखी लड़की  देख कर विकास  का विवाह कर दिया गया.
प्रारम्भ में जब तक नई नवेली  वधु मंजरी के लाड चाव होते रहे सब ठीक रहा ,परन्तु कुछ समय बाद परिवार की जिम्मेदारी भी उठानी पडी तो मंजरी को कुछ बंधन सा लगने लगा.विकास  पर दवाब डाला गया कि वह पिता से अपना भाग लेकर पृथक हो जाय और वो अपनी गृहस्थी अलग बसायेंगें . विकास  जानता था कि पिता के  व्यवसाय को अलग करना या उसमें से पूंजी निकालना संभव नहीं है.अतः उसने मंजरी को समझा दिया.कुछ समय चर्चा शांत रही परन्तु फिर तो रोज का नियम होगया.घर में कलह रहने लगी ,अब मंजरी के मातापिता भी खुले आम हस्तक्षेप कर दामाद पर दवाब बनाने लगे कि वह अलग हो जाय.विकास  ने साहस कर दबी जुबान से अपनी माँ से कहा ,तो माँ ने उसको समझाया .विकास तो दो पाटों के बीच पिस रहा था .उसके   बार बार कहने पर माँ ने एक दिन सुभाष के सामने डरते डरते विकास  की बात रखी .सुभाष ने  साफ़ शब्दों में कहा कि  व्यवसाय में से पूंजी निकालना या दो हिस्सों में बांटने का अर्थ व्यवसाय समाप्त करना है और वो ऐसा नहीं कर सकते.
मंजरी ने विकास  को घर छोड़ कर मायके चले जाने की धमकी दे दी.विकास  मंजरी को प्यार बहुत करता था.उसने उसको बहुतेरा समझाया कि कुछ समय पश्चात सब ठीक हो जाएगा .उसने ये भी  कहा कि यदि वो चली गई तो वह नदी में कूद जाएगा.होनी को कौन टाल सका है.उस दिन घर में बहुत झगडा हुआ.मंजरी ने  अपने पिता को बुला लिया घर से जाने के लिए.सबके रोकने के बाद भी मंजरी के पिता उसको लेकर चल दिए ,और विकास  उनके पीछे स्कूटर लेकर चला .मंजरी के पिता से बार बार अनुरोध करते हुए कि  वो मंजरी को नहीं ले जाएँ,परन्तु उनके न मानने  पर रास्ते में पड़ने वाली भोपा नहर में कूद गया.
लड़की और उसके पिता लौटे भी ,लड़की ने भी  कूदने की कोशिश की और उसको बचा लिया गया.पिता उसको  लेकर ससुराल लौट भी आये ,तो सास के मुख से विलाप करते हुए यही निकला “अब यहाँ क्या लेने आई है “
अब तो खैर अंतिम संस्कार भी हो गया ,परन्तु ऐसे केसेज एक दो नहीं आम हैं.कहीं विवाह विच्छेद हो जाते हैं,यहाँ तो अभी कोई बच्चा नहीं था, अन्यथा  बच्चों की भी  जिंदगी बर्बाद हो जाती है.
मेरे विचार से उत्तरदायित्व का निर्वाह करने से बचना ,एकाकी जीवन ,मौज-मस्ती का  स्वछन्द जीवन और खुला खर्च ,शायद मातापिता से अलग रहने के पीछे यही सोच होती है.लेकिन शायद लड़की स्वयम और उसके परिजन ये भूल जाते हैं कि आडा समय किसी के साथ भी हो सकता है  और विपत्ति में परिवार ही काम आता है. समझदारी और धैर्य से सभी स्थितियों पर पार पाया जा सकता है.साथ ही न जाने क्यों लड़की और उसके परिजन ये  भूल जाते हैं कि ऐसी स्थिति उनके समक्ष हो तो क्या वो यही व्यवहार करेंगें?.अंततः क्या मिला मंजरी को ,पति रहा नहीं,ससुराल वालों और समाज की दृष्टि में अपराधी बनी.मातापिता के  घर रहते हुए क्या वो उस जीवन को जी पायेगी जिसकी वो कल्पना करती थी जबकि उसके घर में एक विवाहित भाई और छोटी अविवाहित बहिन भी है.उसके भाई भाभी को वो भार स्वरूप नहीं लगेगी ?
लड़की सुखी रहे ऐसी कामना सभी मातापिता करते हैं,परन्तु उसके पतिगृह में अवांछित हस्तक्षेप उसका जीवन ही बर्बाद कर देता  है .
गुनहगार कौन और सुधार कैसे ? ये तो कहानी घर घर की है जहाँ बच्चे किसी कारणवश मातापिता के  साथ हैं और उनका स्वतंत्र व्यवसाय या नौकरी नहीं है.
हाँ शीर्षक इसको  हत्या कहें या आत्महत्या देने का कारण ये है कि जब विकास  ने पूर्व चेतावनी दे दी थी ,और वो मंजरी और उसके पिता से  अंत समय तक अनुरोध करता रहा तो मंजरी और उसके पिता का कदम क्या उचित था. ?विकास  या उसके मातापिता का दोष क्या था?
ये एक सच्ची घटना है जो अभी 5-6  दिन पूर्व हमारी कालोनी में घटित हुई है बस नाम बदले हुए हैं.

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