भ्रष्टाचार और मुद्दा! भूल जाईये (जागरण जंक्शन फोरम )
श्रीमान भ्रष्टाचार महोदय से मुलाकात तो प्राय सबकी किसी न किसी भेष में होती ही रहती है. एक दिन जब मुझको भी उनके मजबूरीवश दर्शन करने पड़े तो अवसर का लाभ उठाते हुए, ( बहुत दिन से मेरे मन में कुछ प्रश्न थे ) मन में उठने वाले उन प्रश्नों की लिस्ट उठाकर बातचीत शुरू की…………….
मै………. भ्रष्टाचार . महोदय ,मेरी आपसे विनम्र विनती है कि हमारा देश आपके प्रकोप से बहुत त्रस्त है .निर्धनता ,महंगाई,कुपोषण,बढ़ती जनसंख्या, आतंकवाद ……………इतनी समस्याएं हमारे देश में हैं उनसे ही मुक्ति नहीं मिलती और ,यदि आप हमारा पीछा छोड़ दें तो संभवतः हमारे देश का कुछ उद्धार हो सके ,बेडा पार हो सके.
भ्रष्टाचार ने .(बहुत जोरों से अट्टहास किया) और बोला , मै बिन बुलाया मेहमान नहीं ,जो कहीं भी पहुँच जाऊं ,तुम्हारे देश ने मुझको बहुत प्रेमपूर्वक अपनाया और गले लगाया है.
मुझको सहन नहीं हुआ ,अपने को संयमित रखते हुए कहा ……………….लेकिन हमारा देश तो सदाचार और नैतिक मूल्यों वाला देश रहा है.हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों से बढ़कर महत्व नैतिक आचरण को दिया है.
भ्रष्टाचार .फिर हंसा और बोला .रहा होगा कभी. पर आज ? अतीत का गुणगान छोडो और वर्तमान में जियो.आज तुम्हारे देश भ्रष्ट देशों की सूची में पहुँचने से कुछ ही कदम पीछे है.
मैंने कुछ साहस बटोर कर कहा बस अब बहुत हुआ. देख लेना, आने वाले चुनाव में भ्रष्टाचार को ही मुद्दा बनाया जाएगा और ,सारे भ्रष्ट लोगों को जनता नकार देगी और देश में पुनः रामराज्य होगा.
भ्रष्टाचार महोदय न तो घबराए ,न सकुचाय बल्कि माथे पर हाथ रख कर चुप बैठ गए.मै कुछ विजयी मुस्कान के साथ बोली “क्या हुआ डर गए न.”
भ्रष्टाचार ने शांति से उत्तर दिया ,”न मै घबराया ,न डरा तुम्हारी अल्पज्ञता पर हंसी भी नहीं तरस आ रहा है.आओ तुमको कुछ तथ्य दिखाऊँ “,जानती हो तुम कि
स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात अंतरिम सरकार के रूप में तथा आपातकाल सब को सम्मिलित कर 1977 तक कांग्रेस का एकछत्र शासन भारत में रहा .तद्पश्चात मात्र लगभग 2 वर्ष के लिए जनता दल और फिर 1980 में पुनः श्रीमती इंदिरा गाँधी सत्तारूढ़ हुईं.1984 में उनकी हत्या के पश्चात श्री राजीवगांधी भारी बहुमत से जीत कर सबसे युवा प्रधानमन्त्री के रूप में गद्दी पर बैठे,परन्तु उनकी भी हत्या हो जाने के बाद थोड़े ही समय के पश्चात अल्पमत वाली कांग्रेस सरकार ही जोड़तोड़ के साथ 1996 तक निर्बाध शासन करती रही. 1998 से भारतीय जनता पार्टी तथा सहयोगी दलों ने सत्ता अवश्य संभाली , परन्तु 2004 से अद्यतन कांग्रेस का झंडा लहरा रहा है.इन आकडों को, प्रस्तुत करने का उद्देश्य तुमको यही बताना है कि आज भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है,यदि तुम्हारे देशवासियों को मुझसे नफरत होती तो एक ही पार्टी का एक छत्र शासन इतने लंबे समय तक कैसे रह सकता था.मेरा आगमन तो बहुत पूर्व हो गया था फिर क्यों नहीं मुक्ति प्राप्त की अभी तक .
भ्रष्टाचार ने मेरी आँखें खोली और बोला कि , और अब ! जबकि मेरा प्रवेश खाद्य सामग्री,चिकित्सा,नियुक्ति,,स्थानान्तरण ,,औषधियां, ,अवकाश प्राप्त करने पर पेंशन का काम , शिक्षा के क्षेत्र में भी नन्हे मुन्नों के प्रवेश से हर स्तर पर ,लाइसेंस ,बिजली -पानी का कनेक्शन,गैस ,धार्मिक स्थलों ,खेल ………… अर्थात दैनिक जीवन से सम्बन्धित सभी क्षेत्रों में हो चुका है और कोई काम रिश्वत के बिना नहीं हो सकता , इन समस्त कार्यों के लिए रिश्वत आम आदमी ही देता है ,क्योंकि वह किसी पचड़े में न पड़कर अविलम्ब अपना काम करवाना चाहता है और इसको भ्रष्टाचार का नहीं सुविधा शुल्क का नाम देता है. और जब सुविधा शुल्क से ही काम कराने की आदत आम आदमी की बन चुकी है तो अब हजार बार मुझको कोसने पर भी . मुझसे मुक्ति के लिए कोई प्रयास करने में रूचि अब दिखाई नहीं देती. भ्रष्टाचार ने ढेरों उदाहरण गिनवा डाले और मुझको सोचने को विवश कर दिया .अतः आम आदमी तो उसका आदि हो चुका है.
भ्रष्टाचार का भाषण धाराप्रवाह जारी था बोला तुम राजनीति की बात करती हो राजनीति से भ्रष्टाचार मिटाने की कल्पना ही छोड़ दो.क्योंकि राजनीति के क्षेत्र में तो टिकट प्राप्त करने के लिए एक आम आदमी की कल्पना से अधिक धनराशि पार्टी को देकर ही इस मुहिम में(टिकिट प्राप्त करने में ) सफलता मिलती है.तदोपरांत चुनाव जीतने के लिए प्रचार,जनता को प्रलोभन देने के लिए ,कपड़ा,शराब और खाने पीने का सामान ,भाड़े के लोग जुटाने के लिए , किसी वोट काटने वाले प्रत्याशी को बैठाने के लिए,चमचों को खरीदने के लिए पानी की तरह धन बहाना पडता है. . प्रत्याशी कोई बैरागी या साधुसंत नहीं जो जनसेवा के लिए ऐसा करेंगें.वो यदि 5 करोड खर्च करते है तो उससे कहीं गुना अधिक कमाने के लिए. .छोटे छोटे से ब्लाक ,सहकारी बैंकों,मंडी समिति , ग्राम प्रधान के चुनाव में भी वोट खरीदे जाते हैं,विधायक और सांसदों की तो बात ही छोड़ दो.प्रश्न पूछने के भी पैसे लिए जाते हैं .यहाँ के मंत्री,सांसद,विधायक और छुटभैय्ये प्रतिनिधि भी चारे से लेकर,कोयला,वृद्धावस्था पेंशन बच्चों का आहार सब हजम कर जाते हैं और डकार भी नहीं लेते. कागजों पर काम पूरे अर्थात नौकरशाह +जनप्रतिनिधियों की सांठ-गाँठ से पैसा बटोरा जाता है.
भ्रष्टाचार के भाषण का टेप चल रहा था ,आवाज आ रही थी, तुम्हारे देश की तो अदालतें भी बिक चुकी हैं,न्याय के लिए भटकते लोगों को कहीं से राहत नहीं.बस जेबें गर्म करो और जो चाहे करो.रातों रात फाइलें बदल जाती हैं साक्ष्य नष्ट कर दिए जाते हैं,कहाँ तक कहूँ तुम्हारे देश के तो प्रधानमंत्री के मुख पर टेप लगा है,कलम की स्याही सुख चुकी है .
तुम्हारी प्रमुख संस्था सी बी आई जिस को जांच की जिम्मेदारी दी जाती है, वही सरकार के हाथ का खिलौना है ,भ्रष्टाचार ने पानी का गिलास माँगा और बोला ,कभी न खत्म होने वाली गाथा है ये तो. और पूछा जब रग रग में भ्रष्टाचार समा गया है तो मुक्त होने की कल्पना कुछ कल्पनातीत सी नहीं?
भ्रष्टाचार ने रहस्योद्घाटन करते हुए कहा कि कोई भी दल इससे मुक्ति दिलाएगा ,फिलहाल तो ये दूर की कौड़ी नज़र आती है,क्योंकि सभी दल उन्ही नीतियों का अनुसरण करते हैं सत्तासीन होने पर . इन सबसे बढ़ कर सत्तासीन दल कभी ऐसा नहीं होने देगा क्योंकि सत्ता शक्तिशाली है ,उसके हाथ बहुत लंबे हैं.जो सिर उठाता है उसी के विरुद्ध आरोप लगाकर उसका मुख बंद कर दिया जाता है.
एक बार फिर साहस कर मैंने कहा जनता जागरूक हो रही है इस बार बदला लेगी.भ्रष्टाचार शायद अधिक परिपक्व बुद्धि से सम्पन्न था बोला हाँ जनता की जागृति चमत्कार कर सकती है,परन्तु जनता को बांटकर रखना सत्ता सुख भोगती आ रही कांग्रेस को बहुत अच्छी तरह से आता है. जनता तो पलों में ही भूल जाती है सब कुछ और असंगठित विपक्ष के कारण भ्रष्ट कांग्रेस सत्ता सुख भोगती रहती है.
अब मेरे सारे तर्क निरर्थक हो चुके थे और चुप रह कर ये स्वीकार करना मेरी विवशता थी कि भ्रष्टाचार को इस देश में मुद्दा बनाना और दूर भगाना असंभव ही है.
(ईश्वर करे मेरे सारे अनुमान सही सिद्ध हों और भ्रष्टाचार को ही एकमात्र मुद्दा बनाकर जनता देश हित में निर्णय ले सके तथा सभी भ्रष्टाचारियों को देश निकाला दे दिया जाय )
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