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सचिन से सीखिए (निरर्थक आलोचना क्यों?)

chandravilla
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सचिन – सचिन – सचिन……….. सम्पूर्ण विश्व में  क्रिकेट प्रेमियों और क्रिकेट से दोस्ती न रखने  वालों के लिए ,बच्चे,बूढ़े युवा,स्त्री-पुरुष,सभी के हृदयों में छाये सचिन को हार्दिक बधाई ,साधुवाद उनको  भारत रत्न का सर्वोच्च सम्मान मिलने पर .देश,जाति,धर्म सभी सीमाओं को पार कर सचिन की लोकप्रियता ने सारे रिकार्ड तोड़े.हमारे लिए गौरव ,सम्मान का विषय है.

क्रिकेट के खेल में एक से बढ़कर एक कीर्तिमान सचिन ने स्थापित किये.उन्होंने भारतीय क्रिकेट को शीर्ष पर पहुंचाया और क्रिकेट ने उनको बुलंदियों पर .सचिन के रिकार्ड्स का उल्लेख मैं यहाँ नहीं कर रही हूँ.क्योंकि उनके रिकार्ड्स इंटरनेट पर ,रिकार्ड पुस्तकों में सुरक्षित हैं.वो रिकार्ड्स कभी टूटेंगें या नहीं ये विवाद का विषय नहीं क्योंकि रिकार्ड्स तो बनते ही टूटने के लिए.हाँ इतना अवश्य है कि रिकार्ड तोड़ने वाले के सपनों में तो सचिन फिर भी रहेंगें और जब भी टूटेंगें तो भी सचिन ही  केंद्र में किसी न किसी रूप में अवश्य रहेंगें .

धन.सौन्दर्य,शारीरिक बल, सामाजिक, राजनीतिक,अभिनय  या किसी भी अन्य  क्षेत्र में श्रेष्ठता या नेतृत्व के कारण शीर्ष पर पहुँचने वाले एक से बढ़कर व्यक्तित्व सदा विद्यमान रहे हैं.नाम अर्जित करना ,धनदौलत का स्वामी होना ,किसी भी क्षेत्र विशेष में विशिष्टता प्राप्त करना सभी का स्वप्न होता है ‘ये स्वप्न कोई अपने पुरुषार्थ +भाग्य के बल पर साकार कर लेता है परन्तु सब ऐसे भाग्य शाली नहीं होते न ही सबके पुरुषार्थ इतने दृढ निश्चय से युक्त होते हैं.

एक सामान्य परिवार में जन्म लेने वाले सचिन ने आम बच्चों की तरह खेलते हुए कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों को अपना आदर्श मानते हुए ,अपने परिजनों  के सहयोग ,अपने गुरु श्री आचरेकर जी के निर्देशन में क्रिकेट का खिलाड़ी बनना अपना लक्ष्य निर्धारित किया और जुट गये उस लक्ष्य की प्राप्ति में .उनके परिश्रम और लगन के साथ उनका वरन भाग्य ने भी किया और वो रिकार्ड्स की सीढियां चढ़ते रहे.न जाने कितनी बार वो विविध गलत निर्णयों के शिकार हुए और कुछ अन्य रिकार्ड्स बनाने से वंछित रहे परन्तु कभी उनकी ओर से कोई अभद्रता या अपमानजनक टिप्पणी नहीं हुई.कुछ अवसरों पर तो खेल के प्रति अपनी ईमानदारी के कारण अम्पायर के आऊट देने से पूर्व ही उन्होंने स्वयम को आऊट मान लिया .अपनी टीम के खिलाड़ी या अधिकारी  ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के दिग्गज भी उनके प्रशंसक रहे.प्रतिद्वंदी टीम के विरुद्ध बडबोलापन ,स्वयम को बेहतर मानते हुए दूसरी टीम के खिलाड़ियों का  अपमान प्राय मीडिया की सुर्खियाँ बनता है.सचिन जो सदा ही प्रतिद्वंदी टीम की टिप्पणियों का केंद्र रहे उन्होंने सदा अपने खेल से ही उन लोगों को  उत्तर दिया. कभी कभी  खेल की लय में न रहने के कारण निरंतर असफलता से मीडिया की नकारात्मक चर्चा से भी वो उद्वेलित नहीं हुए.

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नमन्ति फलिनो वृक्षाः नमन्ति गुणिनो जनाः।

जिस प्रकार से फलों से लदी हुई वृक्ष की डाल झुक जाती है उसी प्रकार से गुणीजन सदैव विनम्र होते हैं.

सचिन की यही विनम्रता उनको महानता की श्रेणी में लाकर खडा करती है.जिस व्यक्तित्व को उसके दीवानों और मीडिया ने प्रसिद्धि के व्योम का सितारा बना दिया हो उसके कदम आज भी धरती पर हैं.वह उसी मोहक मुस्कान ,विनम्रता,आत्मीयता  और सज्जनता से व्यवहार करते  है.

भारत रत्न का जो सम्मान सचिन को मिला है,उसके अधिकारी वो हैं .निश्चित रूप से सत्ता सदा अवसर का लाभ अर्जित करती आई है और उसने सचिन को यह सम्मान संभवतः राजनैतिक  लाभ अर्जित करने हेतु दिया है,परन्तु इसके लिए सचिन तो जिम्मेदार नहीं.हॉकी के जादूगर श्री ध्यान चन्द्र जी निर्विवादित रूप से भारतरत्न हैं और उनको सम्मान मिलना ही चाहिए ,परन्तु क्या इसके लिए अपराधी सचिन है.आप सरकार पर दवाब डालिए,ध्यानचन्द्र जी या अन्य किसी भी महान खिलाड़ी को यह सम्मान मिलना सभी को प्रसन्न करेगा.

सचिन ने विज्ञापनों से धन अर्जित किया तो इसमें आश्चर्य की कौन सी बात है,कोई चोरी ,तस्करी या अनैतिक साधनों से उसने धन अर्जित नहीं किया. उन के चरित्र की  निर्मल चादर पर  कभी कोई धब्बा नहीं लगा.उनका सुखी पारिवारिक जीवन सभी युवाओं के लिए आदर्श है.

उनकी मानवता का एक उदाहरण किसी ने मुझको व्यक्तिगत रूप से बताया था.सचिन एक बार चंडीगढ़ गये थे अपने साथी खिलाड़ियों के साथ. चंडीगढ़ पी जी आई  में  किसी गंभीर रोग से पीड़ित बच्चा  जो सचिन को  तथा अन्य खिलाड़ियों को बहुत पसंद करता था ,उनसे मिलने को व्यग्र था.  सचिन को जब ये पता चला तो अन्य खिलाडियों की इच्छा न होने पर भी सचिन उस बच्चे से ,मिलने गये  और उसको प्यार किया

इसी प्रकार आज एक लेख पढ़ा मैंने पांचजन्य के पूर्व सम्पादक राज्य सभा सांसद  श्री तरुण विजय  जी का उन्होंने अपना व्यक्तिगत उदाहरण लिखा है जो मैं यहाँ दे रही हूँ  उन्होंने लिखा है कि उत्तराखंड त्रासदी के बाद  के बाद सचिन से राज्य सभा में उनकी एक बार ही भेंट हुई और तरुण जी ने उनसे उत्तराखंड त्रासदी का जिक्र किया  सचिन ने उनको अपना मेल आई डी देते हुए कहा कि प्लीज आप मुझे पूरी जानकारी दें मैं अवश्य मदद करूँगा .और भी बहुत कुछ लिखा है तरुण जी ने अपने उस लेख में .पंजाब केसरी में छपा है.परन्तु कुछ तकनीकी समस्या है लिंक पेस्ट करने में

सचिन एक इंसान हैं उनकी निरर्थक आलोचना करने वाले उनकी अच्छाईयों को देखें और विचार करे ,कबीर के इस दोहे पर

बुरा जो देखन मैं चला …………….

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÷Á¡ÿ ◊Ò¥ ¡M§⁄U ◊ŒŒ ∑§M¢§ªÊ– सम्मान की आलोचना करने वाले उसको भगवान् मानते हुए निरर्थक आलोचना ही कर रहे हैं .सचिन एक महान खिलाड़ी और महान इंसान हैं,सम्मान  देकर सत्ता ने उन पर कोई उपकार नहीं किया और जो राजनीति है उसके लिए उनका दोष कदापि नहीं.

निश्चित रूप से वो आगे आने वाली पीढीयों के लिए आदर्श रहेंगें और अपने व्यवहार से सभी ऊचाईयां छूने वालों के लिए अनुकरनीय हैं  ,जो उसी पौध से भी सम्बन्ध नहीं रखना चाहते जिसके कारण उनका अस्तित्व  दुनिया में हैं और जिस सीढ़ी पर पैर रख कर ऊंचाईयों को छूते हैं उसी सीढ़ी को पाँव की जूती समझते हैं .किसी भी क्षेत्र में शिखर पर पहुंचना  भले ही अपने हाथ न हो परन्तु हर सफल व्यक्ति के लिए उनकी सज्जनता को अपनाना आवश्यक है

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