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दोगला चेहरा (लघु कथा)

chandravilla
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Untitled-3r-jpgक्रोध में जलते हुए सिन्हा घर में घुसे ,तो पत्नी लता भी घबरा गयी .”क्या हुआ चेहरा क्योँ तमतमा रहा है”.

“तुम्हारी बेटी ने सारी सीमायें पार कर दी हैं ,आज फिर उसी लफंगे निखिल के साथ कार में बैठ कर कहीं जा रही थी “

“अरे कुछ काम होगा जब लड़के लडकियाँ साथ साथ काम करते हैं तो जाना भी पड़ता है” श्रीमती सिन्हा ने बेटी का पक्ष लेते हुए कहा “

“नहीं ,कल को कुछ ऊंच -नीच हो गयी तो समाज में मुहं दिखाने लायक भी नहीं रहेंगें हम “

बहुत देर से स्वयम पर नियंत्रण रखे हुए मिसिज सिन्हा के सब्र का बाँध आखिर टूट गया ,”और जब तुम दो जवान बच्चों के पिता हो कर भी ऑफिस में अपनी सेक्रेटरी के साथ पिकनिक और पिक्चर जा सकते हो ?  वो लडकी भी तो विवाह योग्य है  और किसी की बेटी भी .और तुम! अधेढ़ हो कर भी …………

सिन्हा साहब को काटो तो खून नहीं

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