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पाकिस्तान चेत जाओ अभी भी

chandravilla
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मासूमों   को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए  और उनके बिलखते मातापिता के प्रति  अपनी संवेदनाएं अभिव्यक्त करती हूँ ईश्वर उनको इस असहनीय दुःख को सहन  करने की शक्ति प्रदान करे और साथ ही सद्बुद्धि दे उनकी सरकार और उनकी सेना  को जो पडौसियों  का घर जलाने के लिए सदा प्रयत्नशील रहते हैं ,ये भूल जाते हैं,कि ये आंच उनको भी सुरक्षित नहीं रहने देगी ,पाकिस्तान के दुष्कृत्यों का परिणाम उन मासूम बच्चों को भुगतना पड़ा.अत्यंत पीडादायक  और ह्रदयद्रावक स्थिति .

ऊफ दरिंदगी का चरम  निर्दोष ,मासूम बच्चों का नरसंहार .कल्पना करके भी दिल दहल जाता है, मातापिता ने जिन कलेजे के टुकड़ों को अपना खून पसीना बहाकर पाला ,उनका भविष्य संवारने को  शिक्षा के मन्दिर में भेजा . वहाँ भूखे प्यासे,आँखों में दहशत  नन्हे -मुन्ने बच्चों को गोलियों से भूनते नहीं कांपा .नरभक्षी ,दानव,दरिंदों का दिल !.दिल था ही कहाँ उनमें.

बदले के लिए ये कार्यवाही की गयी ,ऐसी स्वीकरोक्ति निर्लज्ज  वहशी तालिबानियों की है जो   अमानुषिक  कृत्य को उचित ठहरा  रहे हैं.जितनी भर्त्सना ,निंदा ,आलोचना की जाय कम ही है इस जघन्य नरसंहार की.उनके मातापिता और परिजनों का एक एक पल कैसा बीत रहा होगा इसका अनुमान हर संवेदनशील इंसान लगा सकता है.
इस पाशविक कृत्य के लिए   आतंकियों के परिजनों या  उनके बच्चों का अशुभ हो ऐसी कामना तो मेरे संस्कार मुझे कभी  नहीं करने देंगें ,हाँ मेरी  सभी बददुआएं ऐसी सोच रखने वाले हर उस व्यक्ति के लिए अवश्य हैं जो उनको समर्थन देते हुए आतंकवाद को पोषित कर रहे हैं.
इस संदर्भ में मुझको एक पौराणिक कथा याद आ रही है,जिसके अनुसार एक दैत्य ने अपनी तपस्या से आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे वरदान लिया कि वो जिसके सर पर हाथ रखे वही भस्म हो जाय वरदान तो उसको मिलना ही था. वो कुंठित मानसिकता वाला भस्मासुर प्रभु  शिव के सर पर ही हाथ रख कर उनको भस्म करने को तैयार था,वो तो जगत के तारणहार हैं,परन्तु मर्यादा का पालन तो होना ही था,अतः भगवान् विष्णु ने मोहिनी रूप  धारण  कर उसको अपने ही सर पर हाथ रखने को विवश किया और वो भस्म हो गया .

यही स्थिति पाकिस्तान  की है  जो उस सघन छाया वाले वृक्ष (भारत) को  आतंकवादी कृत्यों  नकली करेंसी,नशीले पदार्थों,और आतंकी गतिविधियों के द्वारा कभी निर्दोष लोगों की जान लेकर ,प्रशिक्षण कैम्प चलाकर युवाओं को आतंकी बनाकर नष्ट करना चाहता है,जो उसका भाई रहा है .
भारतीय सीमा पर निरंतर आक्रमण ,घोषित -अघोषित युद्ध जारी रखना  ,गतिविधियों में निर्दोष सैनिकों को मारना,उनके सर काटना ,उन पर पाकिस्तानी जेलों में  दिल दहलाने वाले अत्याचार करना,उनको विक्षिप्त बनाना और फिर जश्न मनाना यही सब पाकिस्तान की भूमिका रही है.सदा.
भारत ने पाकिस्तान को कभी आतंकित नहीं किया आवश्यकता पड़ने पर सदा  हर संभव सहयोग भी किया ,1947 से ही जहाँ पाकिस्तान ने सदा जन्मजात  शत्रुता का निर्वाह किया ,भारत ने सदाशयता का परिचय देते हुए सहयोग  का प्रस्ताव रखा और सहयोग किया भी ..पाकिस्तान के मन में तो जहर ही भरा है ,अतः वो कभी अपनी करनी से नहीं चूका और सदा भारत के विनाश के बीज बोता रहा. शायद पाकिस्तान ये भूल गया कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वो स्वयम भी सुरक्षित नहीं रह सकता
पाकिस्तान भी आज अपने बोये बीजों के कारण स्वयम चहुँ ओर से संकटों से घिरा है और वहाँ की सेना और सरकार की कुनीतियों का परिणाम वहाँ की जनता को भुगतना पड़ता है.आवश्यकता हा,इस तथ्य को समझने और सावधान हो कर नीति बदलने की .जो धन पाकिस्तान आतंकवाद को प्रश्रय देने में पानी की तरह बहा रहा है,वही धन यदि विकास के लिए व्यय होगा तो पाकिस्तान का विकास होगा
भारत को भी इससे लाभ ही होगा क्योंकि  हमारा जो धन     आतंकवादी गतिविधियों का सामना करने में बर्बाद होता है वो विकास पर लगेगा  ये तो सभी जानते हैं . यदि पाकिस्तान को भी सद्बुद्धि आये  और  वह अपनी सोच बदल कर भारत के साथ  आतंकवाद का समूल नाश करे तो दुनिया की कोई शक्ति इधर आँख उठाकर नहीं देख सकती
आतंकवाद केवल भारत या पाकिस्तान के लिए ही घातक रोग नहीं है,विश्व इससे त्रस्त है,परन्तु दुर्भाग्य से विविध स्वार्थ उस आतंकवाद को पोषित कर अपने लिए संकट को आमत्रित करते रहे  हैं.और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से आतंकियों की सहायता करते रहे हैं .

आज  आवश्यकता है इस समस्या के समाधान   के लिय्रे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठित होने की  तथा  हर स्तर पर आतंकवाद के समूल नाश की, क्योंकि कोई भी देश सुरक्षित नहीं ,यदि अब भी नहीं चेते तो ये रोग घातक कैंसर की अंतिम स्टेज होगा जिसको कोई भी कीमो थेरेपी या अन्य उपचार समाप्त नहीं कर सकेगा

दहला नहीं दिल
उतारा मौत के घाट
बिलखते मासूम
निस्संतान हो तुम ?
आत्मा विहीन
कौन करेगा माफ़

say-no-to-terrorism

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