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राजनीति की उठापठक, खेल जगत, सामजिक ,पारिवारिक,कार्यस्थल से संबधित, ऐतिहासिक ,भौगोलिक, साहित्यिक ,वैज्ञानिक,स्वास्थ्य विषयक जानकारी या समस्या, मनोरंजक कथा, फ़िल्मी , विभिन्न चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों से सम्बन्धित चर्चा किसी भी विधा में लिखने का मन है तो लिखने में कोई संकोच क्यों. लिखिए अपने शब्दों में , ,अपनी भाषा हिंदी में और करिए प्रकाशित , जिसमें कोई किन्तु –परन्तु लागू नहीं होता बस सरल सामान्य सी तकनीक की जानकारी और आपके विचार सबके सामने .जी हाँ यही है ब्लागिंग का चमत्कार और वो भी अपनी भाषा हिंदी में ! हिंदी ब्लागिंग को लोकप्रिय बनाने के लिए सभी हिंदी ब्लागर्स की राह सुगम बनाई गूगल आधारित यूनिकोड ने .
हिंदी प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन 2 मार्च 2003 जब हिंदी में प्रथम अधिकृत ब्लॉग श्री आलोक जी द्वारा नौ दो ग्यारह लिखा गया,कुछ विचारक ये तिथि अक्टूबर 2002 मानते हैं.और हिंदी में अपने विचारों की अभिव्यक्ति के लिए एक सुन्दर, सरल माध्यम प्राप्त हुआ. इस क्रम को आगे बढ़ने में थोडा समय अवश्य लगा क्योंकि इसके लिए इंटरनेट , कम्प्यूटर आदि सुविधाएं भारत में सर्वसुलभ नहीं थी . 2004 के उत्तरार्ध में ब्लोगर रवि रतलामी ने अभिव्यक्ति की इस विधा को लोकप्रिय बनाने के लिए ब्लॉग लिखा “अभिव्यक्ति का नया माध्यम ब्लाग “ तद्पश्चात हिंदी लेखन में रूचि रखने वाले कुछ लोगों के प्रयासों से हिंदी ब्लोगिंग ने थोड़ी मंथर गति से अपनी यात्रा को आगे बढाया.
इंटरनेट सर्व साधन की पहुँच से बाहर होने के कारण लेखन और पठन –पाठन में रूचि रखने वालों के लिए हिंदी पत्र पत्रिकाएँही एक मात्र माध्यम थे .,समस्या थी अपने विचारों को लिखने और प्रकाशित करने की इच्छा रखने वाले आम जन के लिए .लेख कलम से लिखना,प्रकाशकों के नखरे उठाना,डाक से भेजना ,स्वीकृति -अस्वीकृति का झंझट , .अतः मुझ सदृश अधिकांश जन तो इन झंझटों के कारण मन मसोस कर ही रह जाते थे .2007 तक कुछ ब्लागर्स सक्रिय तो हो गये थे परन्तु इस माध्यम की लोकप्रियता में और अधिक वृद्धि हुई जब अक्टूबर 2007 में कादम्बिनी पत्रिका में श्री बालेन्दु दधिची जी ने “ब्लॉग बने तो बात बने “ लेख लिखा . इसके पश्चात ही ब्लॉग की जानकारी तथा उनको लेखबद्ध करना,ब्लॉग बनाना आदि महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामान्यजन तक भी पहुँची.ढेरों ब्लॉग साइट्स बनीं और लेखन की रूचि निखारने में सक्रियता बढी.
इसी श्रेणी में सर्वधिक योगदान रहा जागरण जंक्शन सदृश साइट्स का जिससे हमारे जैसे छोटे ब्लागर्स को राह मिली और वो हुआ जिसकी कल्पना भी कठिन थी. विचार सबके मन में आते थे परन्तु समान रूचि वाले लेखकों-पाठकों तक उनको पहुंचाना कठिन था .मेरे जैसे ब्लागर को भी अवसर मिला आलेख,व्यंग्य,कहानी,लघुकथा और टूटी फूटी कविता के माध्यम से अपनी विचार अभिव्यक्ति का. ढेरों पाठक,प्रशंसक,समालोचक बन्धु मिले जिनके सुझावों और प्रोत्साहन के बल पर लेखन में सुधार हुआ और भविष्य में भी होगा .व्यक्तिगत साइट्स पर पाठक इतनी संख्या में सुलभ नहीं हो पाते थे क्योंकि पाठक मिलते थे उत्कृष्ट और लोकप्रिय लेखक और लेखिकाओं को . पाठकों के प्रोत्साहन से ब्लॉग लेखन को गति मिलती गयी और गद्य- पद्य,व्यंग्यलेखन, संस्मरण,लघु कथा,,क्षणिका,मुक्तक ,हाइकू सभी विधाओं में अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिला. जागरण जंक्शन ने इस माध्यम को लोकप्रिय बनाने में और ब्लागर्स को प्रोत्साहन देने में एक रचनात्मक कदम और बढाया दैनिक जागरण में ब्लॉग के अंश प्रकाशित कर नए ब्लागर्स को जोड़ने का.परिणाम स्वरूप अधिकांश हिंदी समाचारपत्रों को राह मिली और उन्होंने भी ब्लॉग साईट प्रारम्भ कर दी आज अधिकांश समाचारपत्रों ने सभी इच्छुक लेखकों को मुक्त हस्त से सभी विधाओं में लिखने का सुअवसर प्रदान किया है. ब्लागिंग की रथयात्रा अब सुपरफास्ट स्पीड से प्रगति पथ पर अग्रसर है.कुछ सामान्य समस्याओं को भी यदि दूर कर दिया जाय तो और भी सुधार होगा और नये -पुराने ब्लागर्स जुड़ सकेंगें.
वर्तमान में (नेट से उपलब्ध जानकारी के आधार पर ) 50000 के लगभग हिंदी ब्लागर्स हिंदी भाषा को लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं तथा अरबों की संख्या में हिंदी ब्लाग्स उपलब्ध हैं..निश्चित रूप से यह संख्या आंग्ल भाषा ब्लाग्स से तुलना करने पर अपेक्षाकृत बहुत कम है परन्तु यह हताश होने वाला कारण नहीं ,मेरे विचार से इसके प्रधान कारण हैं अभी भी नेट सुविधा और कम्प्यूटर आदि साधन घर घर न होना .वैसे भी अंग्रेजी ब्लागिंग को प्रारम्भ हुए तो लम्बा समय हो चुका है.जापानी,चीनी ब्लागर्स की संख्या भी हिंदी ब्लागर्स से अधिक होने का कारण उन देशों के विकसित होने के कारण ही है . हिंदी भाषी भारत में अन्य क्षेत्रों की तरह ब्लागिंग विकास शील अवस्था में है .निश्चित रूप से हिंदी ब्लागिंग का भविष्य उज्जवल है,क्योंकि साइट्स पर विज्ञापन और अन्य माध्यमों से धनार्जन के साधन भी ढूंढ लिए गये हैं,प्रचार –प्रसार बढ़ रहा है.सर्वाधिक सुखद है युवा पीढी का हिंदी ब्लागिंग में सक्रिय होना.जागरण तथा अन्य ब्लागिंग साइट्स पर युवा पीढी की ब्लॉग लेखन में बढ़ती सक्रियता शुभ संकेत है .जागरण साईट पर इतने सारे युवाओं को हिंदी लेखन में सक्रिय देखना बहुत सुखद लगता है.
ये एक सार्वभौमिक तथ्य है कि किसी भी कार्य में सदा दोनों ही पक्ष सक्रिय रहते हैं ,उसमें केवल नकारात्मक पक्ष को देखना अनुचित है.यही स्थिति हिंदी ब्लोगिंग की बढ़ती लोकप्रियता के साथ है.हिंदी में लिखने की रूचि का संवर्धन ब्लाग्स के माध्यम से भारत के साथ विदेशों में बसे रचनात्मक प्रतिभासंपन्नहिंदी प्रेमी भारतीयों द्वारा भी पूर्ण मनोयोग से किया जा रहा है. ब्लागिंग के साथ धनार्जन ब्लागिंग की लोकप्रियता में निश्चित रूप से वृद्धि करेगा . ब्लागिंग +धनार्जन में जब तक ब्लागिंग प्रधान है कोई हानि नहीं ,परन्तु यदि धनार्जन प्रधान होगा तो ब्लोगिंग के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहेगा. मेरे विचार से ऐसा नहीं होगा धनार्जन भी तभी तक संभव है जब तक सार्थक ब्लागिंग जिन्दा है अन्यथा उन ब्लाग्स के पाठक ही नहीं रहेंगें तो धनार्जन भी समाप्त हो जाएगा.
.आज हिंदी में भी फोटो ब्लॉग, म्यूजिकब्लॉग, पोडकास्ट,विडिओ ब्लॉग, सामूहिक ब्लॉग, प्रोजेक्ट ब्लॉग, कारपोरेट ब्लॉग आदि का प्रचलन तेजी से बढ़ा है अतः हिंदी ब्लोगिंग का भविष्य उज्जवल है ,भविष्य में भी अंग्रेजी की तरह निस्संदेह इसकी व्यापकता में असीम वृद्धि की संभावनाएं हैं.!सबसे सुखद बात तो यह है कि आज हिंदी ब्लोगिंग समानांतर मीडिया का स्वरुप ले चुका है ,!जरूरत केवल इस बात की है सकारात्मक लेखन को बढ़ावा दिया जाए और नकारात्मक लेखन को महत्व न दिया जाए,ब्लाग्स चोरी भी थोक में होती है इससे बचने के लिए कुछ उपचार खोजे जाने की आवश्यकता है.
अंत में इस सरल माध्यम को आगे बढाना ही सभी सृजनात्मक रूचि और सकारात्मक सोच से सम्पन्न हिंदी ब्लागर्स का प्रयास रहना चाहिए . जो आनन्द अपनी और प्रवाह अपनी भाषा के माध्यम से लेखन में है वो इंग्लिश में प्राप्त कर पाना सुगम नहीं . अतः हम सबकी कामना यही है कि लेखन निर्बाध चलता रहे और हिंदी ब्लागिंग शिखर पर पहुंचे और हमारी हिंदी का मान दिन दूना रात चार गुना हो. लोकप्रिय होती अपनी हिंदी को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने के लिए स्वयम हिंदी को मान सम्मान देते हुए हिन्द पत्रिकाओं,समाचारपत्रों और ब्लागिंग जैसे माध्यमों से आगे बढ़ाना होगा.
(ब्लॉग के इतिहास संबंधी आंकडें इंटरनेट से साभार )
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