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जयंती और पुण्यतिथि पर अवकाश की घोषणा महापुरुषों का अपमान है .

chandravilla
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लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती तथा लौह महिला इंदिरा जी की पुण्य तिथि पर उनको सादर नमन

( मैं जानती हूँ कुछ मित्रों को मेरा ये पोस्ट बिलकुल पसंद नही आयेगा ,परन्तु मेरी दृष्टि में महापुरुषों,पुण्यात्माओं की जन्मतिथि और पुण्य तिथि नाकारा बनने का सन्देश नही देती ,उनके जीवन ,त्याग,तप और महान कार्यों पर विचार करने और उनसे प्रेरणा ग्रहण करने का अवसर देती हैं,)

कितनी  दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति है,  जिन  महापुरुषों ,पूर्वजों को हम श्रद्धेय मानते हुए उनकी जयंती या पुण्यतिथि पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं ,उनकी आत्मा कितनी दुखी होती होगी जब उनके महान कार्यों ,त्याग,बलिदान से प्रेरणा ले ,देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझने के स्थान पर अवकाश के रूप में नाकारा बन कर मौज मस्ती की जाती है. एक लम्बे समय से ये परम्परा बन गयी है  इन विशेष दिनों को अवकाश घोषित करना , कुछ कार्यक्रम आयोजित कर पानी की तरह सरकारी धन बहाया जाना  तथा राजनीति की चालें चलना .
गाँधी जी,अम्बेडकर जी,सरदार पटेल ,महाराणा प्रताप ……………………..सदृश महान पुरुषों ने अपने जीवन का एक एक पल अपना सुख -शांति चैन,विश्राम सब को तज कर अपना जीवन समर्पित कर दिया और उनके नाम पर केवल स्वार्थ की राजनीति के चलते उनसे सम्बद्ध तिथियों को अवकाश घोषित करने की परम्परा घटिया राजनीति और देश के साथ छल ही है.
जयंती या पुण्य तिथि मनाने का उद्देश्य होना चाहिए कि उनके महान कार्यों से प्रेरणा लेते हुए उन आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएँ ,नई पीढी  उनको स्मरण रखें ,देश के लिए किये गये  उन महानात्माओं के त्याग के विषय में जाने, श्रद्धा स्मरण करें ये पुनीत कार्य स्कूलों ,कार्यालयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित कर किया जाना चाहिए न कि अवकाश घोषित कर .दुर्भाग्य का चरम तो ये कि उन महापुरुषों से सम्बद्ध पाठ्य सामग्री तो पुस्तकों से लुप्त होती जा रही है,परन्तु उनके नाम पर अवकाशों  की  वृद्धि  हो रही है .
अभी 31 अक्टूबर को लौह पुरुष , रियासतों के एकीकरण में  साहसी  भूमिका का निर्वाह करने वाले सरदार पटेल की जयंती को एकता दिवस घोषित किया गया जो निश्चित रूप से एक सराहनीय कदम है,परन्तु उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा अवकाश घोषित करना उन महान पुरुष का अपमान ही है ,सरदार पटेल की  कर्तव्यनिष्ठा से सम्बद्ध उनके   जीवन के एक प्रसंग का उल्लेख कर रही हूँ,
बैरिस्टर सरदार पटेल के लिए कहा गया है कि वो सदा ऐसे ही मुकदमे अपने हाथ में लेते थे,जिनको निर्दोष होने पर फंसाया गया हो.ऐसे ही एक मुकदमे में अपने अभियुक्त के लिए बहस करते समय उनको कर्मचारी ऩे बीच में ही एक टेलीग्राम लाकर दिया ,जिसको पढ़कर शांत भाव से उनको जेब में रख लिया.केस से सम्बन्धित कार्यवाही पूर्ण होने पर जब उन्होंने प्रस्थान का उपक्रम किया था तो उनके साथियों ऩे उनसे रुकने को कहा परन्तु उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया है,अतः उनको तुरंत जाना है.जब उनसे पूछा गया कि यह समाचार जानकार भी किस प्रकार वह अपना कार्य सुचारू रूप से करते रहे तो उन्होंने उत्तर दिया मेरी पत्नी तो लौट कर नहीं आ सकती थी परन्तु जिस व्यक्ति को मृत्युदंड से बचाने का उत्तरदायित्व मेरा था,उसको मौत के मुख में कैसे जाने देता.जरा सी भी ढिलाई उसके लिए हानिकर हो सकती थी.ये उनके व्यक्तित्व का एक पक्ष है.
महाराणा प्रताप ,जिन्होंने घास की रोटियां खायी ,परन्तु अपने कर्तव्य से नही डिगे .महात्मा गांधी तथा स्वाधीनता संग्राम सेनानी जिन्होंने  लाठी डंडों और जेल की यातनाओं की चिंता न करते हुए अपना परिवार ,अपना तन-मन धन सब न्यौछावर कर दिया ,अपनी उच्च शिक्षा ,प्रशासनिक पदों को लात मार दी ,उनकी आत्मा छुट्टी घोषित करने से प्रसन्न होगी ,ये तो सोचना भी धोखा है उनके प्रति .
इस संदर्भ में यूँ तो हमारे देश में सभी राज्यों में अवकाश घोषित किये जाते हैं परन्तु उत्तरप्रदेश तो अग्रणी है इस क्षेत्र में,जहाँ सरदार पटेल की जयंती को अवकाश घोषित कर उनकी महानता को राजनीति की दलदल में घसीटा गया .
उत्तरप्रदेश की स्थिति ….

दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए यूपी की अखिलेश सरकार ने 31 अक्टूबर को वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर छुट्टी की घोषणा की है, इसके साथ ही यूपी में 39 सरकारी छुट्टियां हो गई हैं जो देश में सबसे ज्यादा हैं.

माना  जा रहा है कि वर्ग विशेष को  खुश करने के लिए अखिलेश सरकार पटेल जयंती पर छुट्टी की घोषणा की है. अग्रांकित सभी छुट्टियाँ इसी कड़ी में आते हैं.

महर्षि कश्यप और महर्षि निषादराज जयंती- 5 अप्रैल

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जयंती- 17  अप्रैल

हजरत अजमेरी गरीब नवाज उर्स- 26 अप्रैल

महाराणा प्रताप जयंती- 9 मई

कर्पूरी ठाकुर जयंती- 24 जून

परशु राम जयंती

अग्रसेन जयंती

अब तक अम्बेडकर  पुण्यतिथि-  6 दिसंबर आदि आदि

पिछले दस साल में पचास फीसदी छुट्टियां बढ़ी हैं. उत्तर प्रदेश में 39 सरकारी छुट्टियां हो जाएंगी जबकि केरल में 18, मध्य प्रदेश में 17, राजस्थान में 28 और बिहार में 21 सरकारी छुट्टियां होती हैं.

पहले ही विद्यालय ,सरकारी कार्यालय काम न होने के लिए बदनाम हैं ,ऊपर से अवकाशों की संख्या बढाते जाना देश को  पीछे ले जाना है न कि विकास पथ पर आगे बढाना ,दुर्भाग्य से सरकार बदलने पर कोई भी सरकार उन  अवकाशों को समाप्त करने का साहस नही कर पाती अपितु उसमें राजनीति के चलते नई नई छुट्टियाँ जुड़ जाती हैं.

इस संदर्भ में निश्चित रूप से देश के हित को देखते हुए  कोई सरकारी नीति निर्धारित होनी चाहिए अन्यथा वो दिन दूर नही जब ये देखा जाएगा कि किस दिन अवकाश नही है.निजी कम्पनीज के प्रारूप के अनुसार ऐसे अवकाशों की संख्या निर्धारित कर वैकल्पिक भी घोषित किया जा सकता है )

(उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों की छुट्टियों के विवरण की जानकारी नेट से साभार )

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