Menu
blogid : 2711 postid : 1012711

योजनाओं का क्रियान्वित कराईये प्रधानमंत्री जी, एक पत्र

chandravilla
chandravilla
  • 307 Posts
  • 13083 Comments

आदरनीय प्रधानमंत्री जी,

हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .,

bdhaayi

हमारा देश आपके  निर्देशन,नेतृत्व में  आज़ादी के 70  वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है.देश को आपसे बहुत आशाएं हैं,आज़ादी के बाद हमारा देश जिस शिखर पर गत साढ़े छ दशक से अधिक समय में पहुँच सकता था.,दुर्भाग्य से  नहीं पहुँच सका बहुत पीछे छूट गये हम.निराशा के गहन गर्त से उबरने का प्रयास करते हुए बड़ी आशाओं,आकांक्षाओं ,विश्वास के साथ  हम भारतीयों ने कमान आपके कर्मठ हाथों में सौंपी है.आप उसको मजबूती से  सम्भालने के लिए कटिबद्ध भी हैं,.विविध जनहितकारी  योजनायें आपने प्रारम्भ भी की हैं,अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी आप हमारे भारत की पहिचान सर्वोच्च शिखर  तक  पहुंचाने  के लिए कृतसंकल्पित  हैं,सफलता भी प्राप्त कर रहे हैं.जिस निष्ठा  से आप चुनाव के महायज्ञ में आप अहर्निश परिश्रम कर रहे थे ,वो आज भी विद्यमान है आप में ,आपकी क्षमता , निष्ठा और क्षमता सराहनीय है.

परन्तु ……………………………………………………………..परन्तु…………………………………………………………………परन्तु

महोदय ,

राजनीतिक रूप से आधी अधूरी आज़ादी के परिणाम स्वरूप अंग्रेज तो हमारे देश से चले गये ,जिस स्वतंत्रता की कल्पना देशवासियों ने की थी,वो कल्पना ही बन कर रह गयी.संक्षेप में विचार करें तो स्वाधीन होने पर भी  हर पेट को रोटी का सपना भी साकार न हो सका

वर्तमान में  भी ( विविध आंकड़ों के अनुसार) 29.8 प्रतिशत भारतीय आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है .गरीब की श्रेणी में उन लोगों को सम्मिलित किया जाता है, जिनकी दैनिक आय शहरों में 28.65 रुपये और गांवों में 22.24 रुपये से कम है. क्या आपको लगता है कि यह राशि हमारे  देश में एक दिन के निर्वाह  के लिए पर्याप्त , है ?  विविध कारणों से खाने की चीजों के भाव  तो आसमान छूते  हैं? अतः यह स्पष्ट है, कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या उपरोक्त आंकड़ों से बहुत ज्यादा है। सांख्यिकीय आंकड़े के अनुसार 30 रुपये प्रतिदिन कमाने वाला भी गरीब नहीं है, पर क्या वह सरलता से  जीवन यापन कर पा रहा है. क्या व्यवहार में ये सही माना जा सकता है,?भारत में गरीबों की कुल संख्या में वृद्धि हो रही  है और यह विकास के मार्ग में ये बहुत बड़ी बाधा है. गरीबी एक बीमारी की तरह है ,जिसके मित्र रोग जैसे अपराध, धीमा विकास आदि  भी जुड़े हैं . भारत में अब भी ऐसे लोग  बहुत अधिक संख्या में हैं,जो हैं जो सड़कों पर रहते हैं और एक समय के भोजन के लिए भी पूरा दिन भीख मांगते हैं. गरीब बच्चे स्कूल जाने में असमर्थ हैं और यदि जाते भी हैं तो एक साल में ही छोड़ भी देते हैं.गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने  वाले लोग अत्यंत दुष्कर जीवन जीते हुए ,गंदगी में रहने को विवश  हैं, जो कुपोषण  और बीमारियों का शिकार बनते हैं. इसके साथ  ,शिक्षा की कमी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार   का यह दुष्चक्र चलता रहता है,अपराधों का ग्राफ ऊपर जाता है. स्वाभाविक सा कारण है ,मरता क्या न करता ,भूखे पेट को जो रोटी देगा ,वह व्यक्ति रोटी के लिए  देशद्रोह हो या आतंकवाद में सहयोग करना सभी कार्य करेगा .

(ये आंकडें तो बहुत ही कम हैं)इसके अतिरिक्त बिजली पानी तथा अन्य मूलभूत आवश्यकताओं से  आज भी वंछित हैं लोग.अतः हम कैसे कहें हम आर्थिक रूप से आज़ाद हैं?

आधी आबादी तो  घर -बाहर,कार्यस्थल,यात्रा करते समय  कहीं भी सुरक्षित नहीं.न जाने कब कौन दरिंदा उसका जीवन नरक बना दे.नौनिहालों का अपहरण , पीढी दर पीढी अपना जीवन  गिरवी रखे बंधुआ मजदूर,शिक्षा का गिरता स्तर . समस्याओं की सूची तो बहुत  लम्बी है,जो आप हमसे अधिक अच्छे रूप में जानते हैं.ये समस्याएं अभी नहीं जन्मी,अपितु  ,चली आ रही हैं .

मैं बस आपका ध्यान इस तथ्य की ओर आकृष्ट करना चाहती हूँ कि योजना निर्माण में तो हम अग्रणी हैं,एक से बढ़ कर एक लोक लुभावन योजनायें गत लगभग 7 दशकों में  बनती रही हैं,उनमें सुधार भी हुए, और आपने भी कल्याणकारी योजनायें लागू की  हैं,परन्तु आवश्यकता है,उनको उनके वास्तविक रूप में  क्रियान्वित करवाने की, भ्रष्टाचार दूर करने की , उनका लाभ सम्बद्ध लोगों तक पहुंचाने की,   जिससे हर उदास चेहरा खिल सके ,किसी का जीवन अभिशप्त न रहे .

आपको स्मरण होगा कि इस देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय  श्री राजीव गाँधी जी ने कहा था ,और आपने भी अपने उद्बोधन में उद्धृत किया था ,कि दिल्ली  से एक रुपया निकलता है,जो जनता तक जाते-जाते 15 पैसे हो जाता है और आपने ये आश्वासन भी दिया था कि अब केंद्र से चलने वाला पूरा 100 का 100 पैसा जनता में सम्बद्ध लोगों तक पहुंचेगा .

ये सुखद स्वप्न साकार होना तब तक असम्भव है,जब तक देश में    भ्रष्टाचार का दानव  ज़िंदा है,जो   इन योजनाओं का लाभ स्वयम निगल जाता है, अतः सारी योजनायें धरी की  धरी रह जाती हैं.नौकर शाहों ,अधिकारियों ,कर्मचारियों और यहाँ तक कि नीति निर्धारकों का बड़ा वर्ग आज भी उन योजनाओं के लाभ को स्वयम चट कर रहा है.

अतः आदरनीय प्रधानमंत्री जी  भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करना ही प्राथमिकता बनानी होगी आपको .भ्रष्टाचार निवारण अभियान का प्रारम्भ कीजिये और उसको क्रियावित कीजिये जोर अविलम्ब ,बहुत सारी समस्याएं तो स्वतः समाप्त हो जायेंगी .

एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य आपके द्वारा घोषित अभियान जिससे बहुत आशाएं थी परवान नही चढ़ा ,जिसका बहुत दुःख है बहुत ही निराशा है,दोषी यद्यपि हम सब हैं,जो अपना कर्तव्य नही समझते,लेकिन कुछ नियमों के पालन में कडाई की जो आवश्यकता है ,उसका पूर्णतया अभाव है, खाली पड़े भू खंडों पर कूड़े के ढेर लगे हैं,सडकों पर गंदगी के ढेर हैं,.मेरे विचार से स्थानीय प्रशासन पर दबाब होना चाहिए और उसकी समय समय पर चेकिंग हो जिसमें स्थानीय विधायक,सांसद,प्रशासनिक अधिकारी और कुछ गणमान्य लोग सम्मिलित हों,एक निश्चित समय बाद उन अधिकारीयों को सकारात्मक रूप से प्रोत्साहित किया जाय स्वच्छता अभियान को आगे बढाने के लिए और जहाँ गंगी पायी जाय उनके लिए दंड का भी प्रावधान हो.साथ ही कूड़े के निस्तारण  के लिए कुछ ठोस कार्यप्रणाली हो,जिसको अविलम्ब लागू किया जाय

हमारे देश में एक क्षेत्र में तो पूर्णतया स्वतंत्रता आई है और वो है वाणी पर नियंत्रण का अभाव अर्थात  अनर्गल प्रलाप.किसी की जबान पर लगाम नहीं .वो अनर्गल प्रलाप चाहे देश विरोधी या व्यक्तिविशेष विरोधी ,मीडिया से लेकर हर व्यक्ति ,नेता इस स्वतंत्रता का खुले आम उपयोग करता है..उनमें हर राजनीतिक दल के लोग माहिर हैं.

मान्यवर इस अनर्गल बयान बाज़ी से देश की  बनती छवि ही धूमिल हो रही है, वाह्य शत्रुओं के हौंसलें बुलंद होते हैं.अनुशासन के मामले में  आपकी सरकार के  भी कुछ लोग कहीं अंदर ही अंदर कमजोर न कर दें आपकी सरकार की नींव .विरोधी दल आपके नियंत्रण से भले ही बाहर हों पर अपनी सरकार को तो सुधारिए,पार्टी में  लोकतंत्र का अर्थ अनर्गल प्रलाप तो नहीं.

लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी,

माना कि गत 69 वर्षों का क्रोनिक  रोग इतना शीघ्र समूल नष्ट होना संभव नहीं परन्तु प्रयास तो बढाने होंगे,यदि हमें 2020 तक विश्व में शीर्ष पर पहुंचना है.अतः प्रयासों  की गति  में वृद्धि  कीजिये इससे पूर्व कि जनता निराशा के गर्त में पहुँच पुनः उन्ही अकर्मण्य लोगों को सत्ता सौपने को विवश हो जाए.

मेरा ये पत्र जनता की भावनाओं को आप तक पहुंचाने का प्रयास मात्र है .

पुनः पूर्ण आशा विश्वास और शुभकामनाओं सहित

सभी देशभक्त भारतीय

जागरण जंक्शन के सभी स्नेही साथियों के लिए मेरी इस ब्लॉग यात्रा का पूर्व प्रकाशित संशोधित ब्लॉग

(सभी आंकडें नेट से लिए गये हैं )

पुनः शुभकामनाएं

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to alkargupta1Cancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh